मुंबई: शिवसेना पक्षप्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने 10 दिसंबर (शनिवार) को कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद (Maharashtra-Karnataka Border Dispute) पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। इस दौरान पूर्व सीएम ने न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली का भी बचाव किया। वहीं उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार पर “न्यायपालिका पर दबाव डालने” और इसे अपने नियंत्रण में लाने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया।
जालना जिले के संत रामदास कॉलेज में 42वें मराठवाड़ा साहित्य सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागपुर-मुंबई एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करने आ रहे हैं और हम उनका स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि, अपनी इस यात्रा के दौरान उन्हें (पीएम नरेंद्र मोदी) महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
वहीं, उद्धव ठाकरे ने कानून मंत्री किरेन रीजीजू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की ‘कॉलेजियम प्रणाली’ के खिलाफ बयान देने के लिए आलोचना की। पता हो कि, किरेन रीजीजू ने पिछले महीने कहा था कि कॉलेजियम प्रणाली संविधान के प्रति ‘सर्वथा अपिरचित’ शब्दावली है। जबकि उपराष्ट्रपति ने राज्यसभा में अपने पहले भाषण में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून को रद्द करने के लिए न्यायपालिका की आलोचना की, इसे ‘संसदीय संप्रभुता के साथ गंभीर समझौते’ का उदाहरण बताया था।
इनके बयानों की आलोचना करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि, अगर न्यायाधीश ही न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं कर सकते तो क्या प्रधानमंत्री उन्हें चुन सकते हैं। पूर्व सीएम ने यह भी दावा किया है कि, आठ साल बाद भी, उच्चतम न्यायालय 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र सरकार के विवादास्पद फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि, कर्नाटक के मुख्यमंत्री के बारे में प्रधानमंत्री को बोलना चाहिए जो महाराष्ट्र के कुछ गांवों पर दावा कर रहे हैं। गौरतलब है कि, सीमा विवाद के मामले के तूल पकड़ने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस सांसद सुप्रिया सुले की अगुवाई में महा विकास अघाड़ी (एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना) के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इस वक्त प्रतिमंडल ने कर्नाटक और महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिले बेलगावी की घटनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार को तत्काल दखल देने के लिए कहा था।