file
file

    Loading

    पुणे: हड़ताली एसटी कर्मचारियों को मुंबई उच्च हाई कोर्ट (Mumbai High Court) ने 22 अप्रैल तक काम पर उपस्थित रहने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद पिछले दो दिनों में पुणे (Pune) के भोर डिपो ( Bhor Depot) के 11 कर्मचारी (Employees) काम पर लौट आए हैं, जबकि एक ही दिन में 42 नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों ने कार्रवाई वापस लेने के लिए महामंडल में अपील की है। अब तक डिपो के 66 कर्मचारी काम पर लौट आए हैं। 

    अब तक भोर डिपो में 228 में से 66 कर्मचारी काम पर लौट आए है। इनमें 20 ड्राइवर और 23 टिकट कलेक्टर शामिल हैं। हड़ताल के दौरान डिपो में 9 निजी ड्राइवरों की नियुक्ति की गई। हड़ताल शुरु होने के बाद डिपो के 61 कर्मचारियों पर निष्काशन की कार्रवाई की गई। इनमें से 6 लोगों ने निष्कासन वापस लेने के लिए अपील कर पहले ही काम से जुड़ चुके हैं।

    बुधवार को एक ही दिन में 42 निष्कासित

    कर्मचारियों ने निष्कासन वापस लेने के लिए अपील की है। धीरे-धीरे कर्मचारी फिर से काम से जुडेंगे। भोर डिपो के 61 कर्मचारियों पर निष्कासन, 59 कर्मचारियों पर सस्पेंशन और 11 कर्मचारियों पर ट्रांसफर की कार्रवाई की गई थी, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद धीरे-धीरे कर्मचारी फिर से काम पर वापस लौटते नजर आ रहे हैं। हड़ताल शुरू होने के बाद से अब तक भोर डिपो को करोड़ों रुपए का नुकसान हो चुका है।

    कानून के हिसाब से कार्रवाई

    एसटी कर्मचारियों के वकील गुणरत्न सदावर्ते के साथ एसटी कर्मचारियों पर कानून के तहत कार्रवाई करने का आदेश कोर्ट ने दिया है। कोर्ट ने एसटी कर्मचारियों को 22 अप्रैल तक काम पर वापस लौटने का आदेश दिया है। यह जानकारी मंत्री अनिल परब ने दी है। एसटी पूरी क्षमता से शुरू करने के संदर्भ में शरद पवार से चर्चा की गई है। अनिल परब ने कहा है कि जिन्होंने कानून को हाथ में लिया उन्होंने कोर्ट का अपमान किया है। उन पर निश्चित रूप से कार्रवाई होगी।