पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका की इनामी योजना के लाभ से दूर 288 छात्र

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    पिंपरी : महामारी कोरोना के काल में 10वीं की परीक्षा (Examination) अच्छे अंकों से पास करने वाले पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) के सैकड़ों छात्र-छात्राएं (Students) दो साल से 25 हजार से एक लाख रुपए तक के इनाम (Prizes) का इंतजार कर रहे हैं। इसके लिए अभिभावक और छात्र स्कूल और महानगरपालिका के नागर बस्ती विकास योजना विभाग के चक्कर काट रहे हैं। जहां महानगरपालिका के स्कूली छात्र इनाम से दूर हैं, वहीं निजी विद्यालयों के 5249 विद्यार्थियों के खातों में नौ करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि जमा कराए जाने की बात सामने आई है। फिर सवाल उठता है कि महानगरपालिका और नगरपालिका छात्रों के साथ अन्याय क्यों? 

    शैक्षणिक वर्ष 2020-21 में महानगरपालिका के माध्यमिक विद्यालयों में 10वीं में उत्तीर्ण 288 छात्र महानगरपालिका की पुरस्कार योजना के पात्र थे। उनमें से 28 छात्रों एक लाख रुपए के इनाम के हकदार हैं जबकि 83 छात्र 50 हजार, 162 छात्र 25 हजार और 15 विकलांग छात्र 50 हजार रुपए के इनाम के पात्र थे। हालांकि, पुरस्कार पाने वाले छात्रों की संख्या अधिक होने के कारण प्रशासन ने पुरस्कार राशि को खारिज कर दिया है। इसके विपरीत निजी विद्यालयों के 5249 विद्यार्थियों को सवा 9 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया गया है। अपने ही स्कूलों के छात्रों के साथ महानगरपालिका का भेदभावपूर्ण रवैया अचरज में डालने वाला है।

    शैक्षणिक वर्ष 2020-21 में पुरस्कृत छात्रों की संख्या बढ़कर 288 हो गई

    कक्षा 10वीं की परीक्षा में 85 से 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को माध्यमिक विभाग के माध्यम से क्रमश: 25 हजार, 50 हजार और एक लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती है। हालांकि कोरोना के चलते माध्यमिक विद्यालयों में 10वीं के छात्रों की मौखिक परीक्षा और प्रदर्शनों के आंतरिक मूल्यांकन से परिणाम प्राप्त हुए। नतीजतन, शैक्षणिक वर्ष 2020-21 में पुरस्कृत छात्रों की संख्या बढ़कर 288 हो गई है। इस कारण प्रशासन ने इनाम देने से मना कर दिया है। 2020-21 की तरह महानगरपालिका ने 2021-22 के विद्यार्थियों की उम्मीदों पर भी पानी फेरा हैं। इस वर्ष महानगरपालिका के 150 छात्र पुरस्कार के पात्र हैं। इसमें 7 छात्र एक लाख, 46 छात्र 50 हजार, 87 छात्र 25 हजार और 10 विकलांग छात्र 50 हजार रुपए इनाम के पात्र थे। इन छात्रों पर 56 लाख 75 हजार रुपए खर्च होंगे। यह राशि निजी स्कूलों के छात्रों को बांटे गए नौ करोड़ रुपये से कम है। फिर महानगरपालिका के 150 छात्रों को इनाम से वंचित करने की वजह क्या है? यह सवाल अभिभावक उठा रहे हैं।