पुणे: राज्य के जिला परिषद (Zilla Parishad) और पंचायत समिति (Panchayat Samiti) के चुनाव के लिए नागरिकों को ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) दिए बिना जिला परिषद, पंचायत समिति के पंचवार्षिक चुनाव (Elections) नहीं होंगे। यह घोषणा राज्य के ग्राम विकास मंत्री हसन मुश्रीफ ने की। वे पुणे में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
राज्य के जिला परिषद की स्थापना को 60 वर्ष पूरे हुए। इस उपलक्ष्य में पुणे जिला परिषद की तरफ से हीरक महोत्सव का शुभारंभ किया गया था। इसी मौक पर हसन मुश्रीफ बोल रहे थे। इस मौके पर राकां सुप्रीमो शरद पवार, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल, डिविजनल कमिश्नर सौरभ राव, जिलाधिकारी डॉ. राजेश देशमुख, पुणे जिला परिषद के सीईओ आयुष प्रसाद उपस्थित थे।
4 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
मुश्रीफ ने कहा कि पंचायत राज संस्था में नागरिकों को ओबीसी का पूर्ववत आरक्षण मिले। इसके लिए राज्य के पूर्व मुख्य सचिव जयंत कुमार बांठिया की अध्यक्षता में ओबीसी आरक्षण को लेकर आवश्यक इंपीरिकल डाटा जमा करने के लिए समिति स्थापित की गई है। इस समिति का काम तेजी से चल रहा है। आने वाले चार महीने में इस समिति की रिपोर्ट मिलेगी। उसी समय इस विषय पर 4 मई को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई होने वाली है। ओबीसी को आरक्षण दिए बिना चुनाव नहीं कराने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है। इसके लिए कानून बनाकर इस चुनाव की तारीख तय करने का अधिकार राज्य सरकार ने खुद के पास रखा है। राज्य में पुणे सहित 27 जिला परिषद का कार्यकाल 20 मार्च 2022 और करीब 348 पंचायत समिति का कार्यकाल 13 मार्च 2022 को समाप्त हो चुका है। ऐसे में फिलहाल इन पंचायत समितियों और जिला परिषद का कार्यभार प्रशासकीय हाथों में है। इसी को आधार बनाकर हसन मुश्रीफ ने यह घोषणा की है।
दशहरा-दिवाली में चुनाव, मंत्री ने दिए संकेत
हसन मुश्रीफ ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले और जयंत कुमार बांठिया समिति की रिपोर्ट प्राप्त होती है तो भी मानसून करीब है। ऐसे में मानसून में चुनाव कराना संभव नहीं है। ऐसे में यह चुनाव मानसून समाप्त होने के बाद होगा। ऐसे में ये चुनाव दशहरा, दिवाली में होने के स्पष्ट संकेत हसन मुश्रीफ ने दिए है।
ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर 4 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। ओबीसी को आरक्षण दिए बिना जिला परिषद और पंचायत समिति का चुनाव नहीं कराने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है। इसके लिए कानून बनाकर चुनाव की तारीख तय करने का अधिकार राज्य सरकार ने अपने पास रखा है।
-हसन मुश्रीफ, ग्रामविकास मंत्री, महाराष्ट्र