Pimpri Chinchwad Municipal Corporation

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    पिंपरी:  आए दिन नए नए हैरतअंगेज कारनामों से चर्चा में रहे पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) का एक और फैसला चर्चा में है। वह यह कि केवल कागजातों के वाचन भर के लिए 15 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। असल में महानगरपालिका (Municipal Corporation) की ओर से कासारवाड़ी (Kasarwadi) के नासिकफाटा में बनाए गए दो मंजिला फ्लाईओवर ब्रिज (Flyover Bridge) का मसला अब ट्रिब्यूनल में चला गया है। इस पर ट्रिब्यूनल बोर्ड बनाया गया जिसके तीन सदस्यों को इस मसले के कागजातों के वाचन के लिए प्रति पांच लाख रुपए के हिसाब से 15 लाख रुपए का शुल्क अदा किया जाएगा। इसका एक प्रस्ताव भी स्थायी समिति (Standing Committee) की बैठक में पारित किया गया।

    महानगरपालिका की ओर से नासिक फाटा में बने दो मंजिला फ्लाईओवर का काम पूरा हो चुका है और इस पुल को यातायात के लिए खोल दिया गया है। इसके अलावा पुल के रैंप 1, रैंप 2 और लूप 1 का काम भी पूरा कर लिया गया है। इस फ्लाईओवर के निर्माण का ठेकेदार बीजी शिर्के कंस्ट्रक्शन टेवनो प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। उन्होंने विजय मिस्त्री कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से ‘संयुक्त उद्यम’ पर यह निर्माण कार्य किया। यह कार्य विश्व बैंक की आर्थिक सहायता से महानगरपालिका के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करके किया गया था। इसलिए यह कार्य विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त FIDIC अनुबंधों के आधार पर किया गया है।

     मध्यस्थता बोर्ड का गठन किया गया था

    इस परियोजना को लेकर बीजी शिर्के  कंस्ट्रक्शन और विजय मिस्त्री कंस्ट्रक्शन के बीच विवाद के कारण मामला मध्यस्थता के लिए ट्रिब्यूनल के पास भेजा गया था। इस पर एक मध्यस्थता बोर्ड का गठन किया गया था। महानगरपालिका के ट्रिब्यूनल लोक निर्माण विभाग के रिटायर्ड सचिव ए. बी. यादव, बी. जी. शिर्के और विजय मिस्त्री कन्स्ट्रक्शन के ट्रिब्यूनल एम. जी. धारप ने संवाद साधकर राज्य के रिटायर्ड सचिव एस. आर. तांबे को बतौर चेयरपर्सन चुना।  तांबे अध्यक्ष के रूप में काम करने के लिए सहमत हो गए हैं। उनके सुझाव पर मार्च 2015 में हुई एक बैठक में दस्तावेजों को पढ़ने और अध्ययन करने के लिए तीन सदस्यों को चार्ज करने का निर्णय लिया गया। तदनुसार, महानगरपालिका कमिश्नर और स्थायी समिति के अनुमोदन से उचित कार्रवाई की गई। 30 अप्रैल, 2021 को बोर्ड ऑफ ट्रिब्यूनल की बैठक में यह मांग की गई कि पैनल के प्रत्येक सदस्य को दस्तावेजों को पढ़ने और पढ़ने के लिए 5 लाख रुपए का भुगतान किया जाए। तदनुसार, एस. आर. तांबे, ए.बी. यादव और एम. जी. धारप इन तीनों सदस्यों को पांच-पांच लाख रुपए और प्रत्येक को 15 लाख रुपए दिए जाएंगे।