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    पिंपरी: शिवसेना (Shiv Sena) के अंसन्तुष्ट नेताओं की बयानबाजी की पृष्ठभूमि पर भाजपा-शिवसेना (BJP-Shiv Sena) के एक साथ आने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल (State President Chandrakant Patil) ने बड़ा बयान दिया है। बुधवार को पिंपरी-चिंचवड़ (Pimpri-Chinchwad) में विभिन्न परियोजनाओं के उद्घाटन और भूमिपूजन समारोहों के लिए आए पाटिल ने यह कहकर सूचक संकेत दिए कि राजनीति में कोई भी संभावना क्षणभर में बन जाती हैं।

    दोनों भाइयों को आपसी झगड़े खत्म कर पुनः एक साथ आने चाहिए, ऐसा आमजनों की भी इच्छा है। उन्होंने यह भी कहा कि शिवसेना नेताओं की बेचैनी अब धीरे-धीरे बाहर आने लगी है। उद्धव ठाकरे शिवसैनिकों को दबाकर नहीं रख सकते हैं। 

    शिवसेना में अशांति धीरे-धीरे बाहर फैल रही है

    शिवसेना नेता और ठाकरे सरकार में मंत्री अब्दुल सत्तार ने कहा है कि केवल नितिन गडकरी ही भाजपा-शिवसेना गठबंधन का पुल बना सकते हैं। इस पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पाटिल ने कहा कि यह राहत की बात है कि शिवसेना में अशांति धीरे-धीरे बाहर फैल रही है। कहीं तानाजी सावंत बोले, तो कहीं रामदास कदम बोले। कोई निजी तौर पर बोलता है तो कोई खुलकर बोलता है। शिवसेना इससे ज्यादा सच्चे शिवसैनिकों का दमन नहीं कर सकती। उन्हें हिंदुत्व की ओर जाना होगा, यह जानकर ही कोई खुलकर बोला जा रहा है। 

    दो भाइयों में झगड़ा खत्म हो

    क्या शिवसेना-भाजपा के साथ आने की संभावना है? यह पूछने पर पाटिल ने कहा कि मुझे नहीं पता क्योंकि राजनीति में संभावनाएं पल भर में ही बन जाती हैं। 2014 गठबंधन नहीं था, बाद में भाजपा-शिवसेना की सरकार बनी। हर दिन ऐसा लगेगा। क्योंकि इस्तीफा जेब में था, उस पर कुछ नहीं लिखा था। वे सिर्फ निकालकर दिखाते भर थे फिर भी पांच साल सरकार चली। इसलिए राजनीति में निश्चित रूप से कुछ भी कहना संभव नहीं है, लेकिन, यह सामान्य लोगों की इच्छा है कि दो भाइयों में झगड़ा खत्म हो। कुछ बिंदु पर वे बहस करना समाप्त कर देते हैं और फिर से पुराने संबंध बनाना शुरू कर देते हैं।  लेकिन, जब हम यही कहेंगे तो सामना में हेडलाइन आती है कि वे सोते नहीं हैं क्योंकि उनके पास सत्ता नहीं है। यह गलत है हमें बहुत ही शांत नींद आती है, हमें हिलाकर जगाना पड़ता है। 

    नो लॉकडाऊन, सिर्फ प्रतिबंध सख्त हों

    कोरोना विलुप्त होने के कगार पर है। कोरोना का नया रूप डरावना नहीं है। अभी इसके लक्षण सामान्य सर्दी-खांसी है और आज ही इस पर दवा भी मिली है।  इसलिए अभी लॉकडाउन करना उचित नहीं होगा।  हालांकि, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने स्पष्ट किया कि प्रतिबंधों को कड़ा करने से कोई असहमत नहीं है। सभी रूटीन शुरू रखें, निर्बन्ध कड़े रखें। अगर आप मास्क नहीं पहनते हैं तो आपको 500 रुपए की जगह 5,000 रुपए का जुर्माना लगाना चाहिए। पुणे जिले में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए आज से सख्त पाबंदियां लगा दी गई हैं।  कोई भी सख्त प्रतिबंधों से असहमत नहीं है। हालांकि, अब कोई भी लॉकडाउन के लिए तैयार नहीं होगा।  बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरेंगे। मन के जीवन में दो वर्ष बहुत लंबा समय होता है। छात्रों, खिलाड़ियों, व्यापारियों, उद्यमी काफी आहत हुए हैं। इसलिए हम सभी रूटीन जारी रखकर सावधानी बरत सकते हैं। शादी समारोहों, समारोहों में 50 लोगों को शामिल होना चाहिए। दफ्तर बंद करो, 50 प्रतिशत हाजिरी रखो। दुकानें, स्कूल, कॉलेज बंद रखने से कुछ नहीं होगा। मैं डॉक्टर नहीं हूँ, कई लोग दावा करते हैं कि आप एक डॉक्टर हैं, एक कंपाउंडर हैं, भले ही आप डॉक्टर नहीं हैं। यह कहते हुए कि मैं डॉक्टर या कंपाउंडर होने का दावा भी नहीं कर रहा हूं, पाटिल ने कहा कि मैंने बहुत पढ़ा, इससे पता चलता है कि कोरोना विलुप्त होने के कगार पर है। कोरोना का नया रूप डरावना नहीं है। बिगड़ती अर्थव्यवस्था पटरी पर है।  उस पर विचार किया जाना चाहिए।  ‘नो-लॉकडाउन, सख्त प्रतिबंध’ लगाएं। 

    सभी को प्रतिबंधों का पालन करना चाहिए 

    सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे ने कार्यकर्ताओं के साथ सेल्फी लेते समय कोरोना नियमों का उल्लंघन करने का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी को प्रतिबंधों का पालन करना चाहिए लेकिन, दूरबीन के साथ बैठने का कोई कारण नहीं है।  आखिर एक राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ता को पूरे दिन घूमना पड़ता है। वह किसी के साथ सेल्फी लेने के लिए खड़े नहीं हुए, तो उस पर आलोचना होगी।  अंत में राजनीति में काम करने वालों को सभी नियमों का पालन करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही  थी।