वाईसीएम अस्पताल का आयुर्वेद विभाग 2 साल से बंद

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    पिंपरी: आयुर्वेद (Ayurveda) को सबसे पुराना चिकित्सा विज्ञान माना जाता है। आयुर्वेद का जन्म भारत में हुआ था। आयुर्वेदिक उपचार प्रणाली को भी केंद्र सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है। आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH) ने कोविड काल के दौरान आयुर्वेद में कई उपायों का उल्लेख किया है और नागरिकों ने काढ़ा से लेकर च्यवनप्राश तक इसका खूब इस्तेमाल किया। हालांकि पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल (Yashwantrao Chavan Memorial Hospital) में आयुर्वेद को एक पूर्ण विराम दिया गया है। इसी कोरोना काल की अवधि में वाईसीएम में आयुर्वेद विभाग पिछले दो वर्षों से बंद (Closed) रहने की जानकारी सामने आई है।

    पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका के वाईसीएम में शहर के साथ-साथ राज्य के कोने-कोने से नागरिक चिकित्सा आते हैं। आयुर्वेद को कई बीमारियों की रामबाण औषधि बताया गया है, यह एलोपैथी से सस्ता है और इसके कोई दुष्परिणाम नहीं हैं। कोरोना काल में आयुष मंत्रालय नागरिकों को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विभिन्न जड़ी-बूटियां पीने का निर्देश दे रहा था। कहा जाता है कि इससे नागरिकों को भी फायदा हुआ। इसके बावजूद यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल (वाईसीएम) में आयुर्वेद विभाग पिछले दो साल से बंद है। 

    स्टोर रूम में अभी भी 30 हजार रुपए की दवाएं पड़ी हैं 

    जबकि यहां आयुर्वेद विभाग पिछले कई वर्षों से कार्य कर रहा है। हालांकि, कोरोना काल में यह विभाग अन्य बाह्य रोगी विभागों (ओपीडी) की तरह अस्थाई रूप से बंद था। कोरोना का प्रकोप कम होने के बाद हॉस्पिटल के सभी ओपीडी शुरू किए गए हालांकि आयुर्वेद विभाग अभी भी बंद ही है। आयुर्वेद विभाग में हर सप्ताह करीब 60 से 70 मरीज इलाज के लिए आते हैं। इन मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इस विभाग के लिए 14 लाख रुपए सालाना की दर से दवा खरीदने का प्रावधान किया जा रहा है। वाईसीएम के स्टोर रूम में अभी भी 30 हजार रुपए की दवाएं पड़ी हैं और इन दवाओं की समय सीमा नजदीक है। साथ ही पिछले साल आयुर्वेदिक दवाओं की खरीद के लिए आवंटित राशि का एक पैसा भी खर्च नहीं किया गया है। शुरू न होने के कारण इस विभाग में इलाज के लिए आने वाले मरीज निराश होते जा रहे हैं।