shrirang-barne

    Loading

    पिंपरी: पिंपरी-चिंचवड़ स्मार्ट सिटी (Pimpri-Chinchwad Smart City) योजना भ्रष्टाचार (Corruption) से ग्रस्त है। ठेकेदारों (Contractors) के पालन पोषण के लिए काम तैयार किए जा रहे है। इस योजना से नागरिकों को कम और ठेकेदारों को ज्यादा फायदा हो रहा है। बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर सामान और सामग्री की खरीद की जा रही है। इस भ्रष्टाचार में स्मार्ट सिटी कंपनी के निदेशक शामिल हैं। यह शिकायत करते हुए शिवसेना सांसद श्रीरंग बारणे (Shiv Sena MP Shrirang Barne) ने  दिल्ली में ईडी के दफ्तर (ED Office) पहुंच कर स्मार्ट सिटी में भ्रष्टाचार की निष्पक्ष और गहन जांच की मांग की है।

    सांसद बारणे आज दिल्ली में अपने कार्यालय में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा से मुलाकात की। उन्होंने पिंपरी-चिंचवड़ स्मार्ट सिटी में भ्रष्टाचार की जानकारी दी। उससे सभी संबंधित दस्तावेज उन्हें सौंप दिए गए हैं। मिश्रा ने कहा कि अगर कोई और दस्तावेज हैं, तो उन्हें उपलब्ध कराएं, इसकी जांच पड़ताल की जाएगी। यह जानकारी देकर सांसद बारणे ने दावा किया कि अब स्मार्ट सिटी में भ्रष्टाचार की जांच ईडी करेगी। इसकी जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि ईडी से पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका की स्मार्ट सिटी योजना में भ्रष्टाचार की जांच की मांग की है। स्मार्ट सिटी में भ्रष्टाचार को लेकर मैंने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी को 18 मार्च, 2020 को पत्र लिखा था। साथ ही 13 फरवरी 2021 को लोकसभा में स्मार्ट सिटी में भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठाया था। शहरी विकास मंत्रालय ने स्मार्ट सिटी से मांगी जानकारी लेकिन, स्मार्ट सिटी ने गोलमोल जवाब दिए।

    चार कंपनियों को दिया गया 1,353 करोड़ रुपए का ठेका 

    इसलिए आज ईडी के निदेशक संजय कुमार मिश्रा से मिलकर पिंपरी-चिंचवड़ स्मार्ट सिटी में भ्रष्टाचार की गहन जांच की मांग की। स्मार्ट सिटी में 1,353 करोड़ रुपए का ठेका चार कंपनियों को दिया गया। उन्होंने टेक महिंद्रा, एलएंडटी, बीजी शिर्के और बेनेट कोलमैन को यह ठेका दिया गया। इन कंपनियों ने नियमों का उल्लंघन कर उपठेकेदारों को ठेका दिया है। स्मार्ट सिटी कंपनी के निदेशक ठेकेदारों से सांठ-गांठ कर रहे हैं। कई विकास कार्य कागजों पर ही हैं। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार अब तक 670 करोड़ रुपये के कार्य पूरे हो चुके हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में केंद्र सरकार की 50 फीसदी, राज्य सरकार की 25 फीसदी और नगर निगम की 25 फीसदी हिस्सेदारी है।

    स्मार्ट सिटी कंपनी के निदेशक भ्रष्टाचार में लिप्त 

     स्मार्ट सिटी कंपनी के निदेशक धन का दुरूपयोग कर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। इसमें महानगरपालिका में सत्तारूढ़ भाजपा शामिल है। तत्कालीन महानगरपालिका कमिश्नर की ठेकेदारों की मिलीभगत थी। स्मार्ट सिटी में अविकसित क्षेत्रों के अलावा विकसित क्षेत्रों को ही विकसित दिखाया जाता है। कागजों पर ही विकास कार्य हो रहे हैं।  व्यक्तिगत लाभ के लिए विकास कार्यों का आयोजन नहीं किया जा रहा है।

    कागजों पर ही विकास दिखाया

    स्मार्ट सिटी के लिए नियमानुसार एसपीवी का गठन किया गया। इसमें महापौर, स्थायी समिति के अध्यक्ष, सत्तारूढ़ दल के नेता, विपक्ष के नेता, दो पार्षद, संभागीय आयुक्त, पीएमपीएमएल के सीईओ, पुलिस आयुक्त, भारत सरकार के दो सचिव और दो विशेष निदेशकों को नियुक्त किया है। इसके बावजूद तत्कालीन महानगपपालिका कमिश्नर और ठेकेदारों ने मिलीभगत की। कागजों पर ही विकास दिखाया। इस योजना से जनता का पैसा लूटा जा रहा है। आज सबसे बड़ा भ्रष्टाचार स्मार्ट सिटी में है। ठेकेदारों के पालन पोषण के लिए कई काम किए गए हैं। बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर सामान और सामग्री की खरीद की जाती है। सामग्री बाजार मूल्य से अधिक खरीदी गई है। इस संबंध में ईडी को कई दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं। सांसद बारणे ने कहा कि वह ईडी अधिकारियों को और दस्तावेज सौंपेंगे।