पुणे. पुणे जिले के तीर्थक्षेत्र और प्रमुख देवस्थान वाले गांवों में टीकाकरण के लिए महास्वास्थ्य शिविर आयोजित करने का फैसला पुणे जिला परिषद (Pune Zilla Parishad) की स्वास्थ्य समिति (Health Committee) ने लिया है। मंदिरों (Temples) को खोलने के लिए राज्य सरकार द्वारा निश्चित की गई समय सीमा के अंदर इन गांवों के लोग, पुजारी और तीर्थक्षेत्र और मंदिर से संबंधित सभी लोगों का टीकाकरण पूरा किया जाएगा, यह जानकारी निर्माण एवं स्वास्थ्य समिति के सभापति प्रमोद काकडे ने दी है।
कोरोना संक्रमण के कारण लगभग डेढ़ साल से बंद धार्मिक स्थल और मंदिर खोलने के लिए राज्य सरकार ने अनुमति दे दी है। इससे पुणे जिले के मंदिरों और तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगने की संभावना है। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में अभी भी कोरोना संक्रमण कम होता नहीं दिख रहा है। काकड़े ने स्पष्ट किया कि यह फैसला इसी पृष्ठभूमि पर लिया गया है। इन गांवों में स्वास्थ्य शिविरों की योजना बनाने, उनके लिए समय सारणी तय करने और शिविरों के लिए पर्याप्त टीके उपलब्ध कराने के निर्देश काकडे ने जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. भगवान पवार को दिया है।
सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित
जिले में आलंदी और भीमाशंकर जैसे प्रमुख देवस्थान के साथ राज्य के 8 में से पांच अष्टविनायक हैं। इनमें मोरगांव, थेऊर, रांजनगांव, ओझर और लेन्याद्री देवस्थान शामिल हैं। इसके अलावा यहां सौ से अधिक सी वर्ग के तीर्थस्थल हैं। मावल तालुका के जिला परिषद सदस्य नितीन मराठे ने स्वास्थ्य समिति की बैठक में इस अवधारणा को प्रस्तुत किया। इसे कांग्रेस के गुट नेता विट्ठल आवाले, शिवसेना के गुलाब पारखे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अभिजित तांबिले आदि सदस्यों ने समर्थन दिया। इसके बाद सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया।
90 फीसदी से अधिक शिक्षकों को टीका लगा
इस बीच, मंदिरों और तीर्थ स्थलों की तरह जिले के ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल भी 4 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। जिले में अब तक 90 फीसदी से अधिक शिक्षकों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है। जिला परिषद स्वास्थ्य समिति ने प्राथमिकता के आधार पर बचे हुए शिक्षकों, गैर शिक्षण कर्मचारी और उनके परिवारों का टीकाकरण करने का निर्णय लिया है।