Firecrackers
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    पिंपरी: पिछले कुछ सालों में प्रदूषण मुक्त दिवाली की ओर रुझान बढ़ा है। हालांकि, अभी भी कई लोग हैं जो मानते हैं कि दिवाली (Diwali) बिना आतिशबाजी के नहीं मनाई जाती है। मगर हाल ही में हुई भारी बारिश (Heavy Rain)आतिशबाजी का अवसर प्रदान करेगी? इसी डर से पटाखों (irecrackers) की बिक्री में करीब 50 फीसदी की कमी आई है। दूसरी तरफ महंगाई (Inflation) के चरम पर पहुंचने और 60 फीसदी तक पटाखों के महंगे होने से पटाखे महंगे होते जा रहे हैं।

    पिंपरी-चिंचवड शहर में करीब 50 से 60 अधिकृत पटाखा विक्रेता हैं। इनमें से उपनगरों के विभिन्न हिस्सों में सड़क किनारे पटाखों के स्टॉल लगाए गए हैं। अनधिकृत स्टालों की संख्या एक हजार से अधिक है। इन स्टालों की लाइसेंस फीस करीब 5 हजार है। वेंडरों ने बताया कि मनपा में फायर ब्रिगेड व कुछ अन्य विभागों के साथ टेबल पर पैसे देने पड़ते हैं, जिससे परमिशन की कीमत करीब 20 हजार है। पटाखा विक्रेता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या इस साल लागत की भी वसूली हो पाएगी। नतीजतन, विक्रेताओं को परमिट के साथ स्टाल लगाने में सिरदर्द लग रहा है।

    स्टॉल में पटाखों का स्टॉक 50 किलो तक सीमित 

    महानगरपालिका के अधिकारियों को बिना लाइसेंस और ना आपत्ति प्रमाणपत्र दिए पटाखा स्टॉल के स्थलों का निरीक्षण करने का अधिकार है, लेकिन हर साल नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। नतीजन ही बचे हुए पटाखों को स्टोर कर रखने की नौबत विक्रेताओं पर आती है। खुदरा विक्रेता द्वारा लगभग 2 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। उन्हें डर है कि कहीं उनकी लागत से भी कम की आय न हो जाए। स्टॉल में पटाखों का स्टॉक 50 किलो तक सीमित है। 

    100 से लेकर 10,000 रुपए तक के पटाखे बिक्री के लिए उपलब्ध 

    इस साल धरती बम, पॉपअप्स, गन्स, इलेक्ट्रिक शावर्स, चक्कर, म्यूजिक माला की मांग ज्यादा है। स्पार्कलर में इलेक्ट्रिक रेड एंड ग्रीन, चांदनी, चंद्रा, चक्कर, फ्लावर पॉट, क्रैकर्स में लक्ष्मी, बम, रॉकेट, कलर रॉकेट, बेबी रॉकेट, साउंड रॉकेट, व्हिसलिंग आदि पसंद किए जा रहे हैं। बम में छोटे और बड़े हाइड्रो, क्लासिक उपलब्ध होते हैं। इसके साथ ही बच्चों की आतिशबाजी में पबजी, पॉपकॉर्न, बटरफ्लाई, गोल्डन और कलर रेन, पॉप-पॉप, स्पेक्ट्रा फाउंटेन, सेवन शॉट और विभिन्न फैंसी किस्में शामिल हैं। फिलहाल बाजार में 100 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक के पटाखे बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। एक विक्रेता के अनुसार, कई कंपनियों में पटाखों पर पाबंदी से उत्पादन में कमी आई है। इसलिए इस वर्ष विक्रेताओं को पटाखों की कम मात्रा उपलब्ध कराई गई है।