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    पुणे: पुणे महानगरपालिका (Pune Municipal Corporation) में शामिल किए गए 11 गांवों (Villages) का डेवलपमेंट प्लान (Development Plan) तैयार किया गया है।  साल 2017 में पुणे महानगरपालिका (पीएमसी) में शामिल इन गांवों की 2018 में डेवलपमेंट प्लान बनाने की अधिसूचना जारी की थी।  

    इसके तहत पीएमसी (PMC) ने रुपरेखा बनाने के लिए स्वतंत्र सेल बनाया था,  लेकिन कोरोना महामारी ( Corona Pandemic) के चलते यह प्लान बनाने में करीब 2 वर्षों की देरी हुई।  आखिरकार इस सेल के जरिए 11 गांवों में वर्तमान जमीन इस्तेमाल का सर्वेक्षण कर नागरिक सुविधाओं के लिए आरक्षण सुझाया गया है। 

    तालाब और खाड़ियों की सुरक्षा पर ध्यान

    राज्य सरकार ने एक वर्ष पहले मुंबई को छोड़कर संपूर्ण राज्य के लिए यूनिफाइड डीसी रूल्स लागू किया हैं। उसके कारण पीएमसी में शामिल 11 गांवों के डेवलपमेंट के नियम बनाए गए।  इसके कारण इन गांवों के प्लान में अधिकांश रूप से सड़क चौड़ीकरण, मैदान, उद्यान, स्कूल और हॉस्पिटलों सहित नागरिक सुविधाओं के लिए आरक्षण इस तरह के काम प्रशासन को करने पड़े हैं।  2017 में महानगरपालिका ने शिवणे, उत्तम नगर, फुरसुंगी, उरूली देवाची, उंडरी, साढ़ेसतरा नली, केशव नगर, लोहगांव, आंबेगांव खुर्द, आंबेगांव बुद्रुक और धायरी आदि गांवों को शामिल किया गया था। आरक्षण के लिए प्रशासन द्वारा मुख्य रूप से भविष्य में पानी की जरूरत को ध्यान में रखते हुए तालाब और खाड़ियों के परिसर की सुरक्षा पर ध्यान दिया गया है, यह जानकारी अधिकारियों ने दी। 

    पीएमआरडीए के हाथों में 23 गांवों की रुपरेखा 

     23 गांवों को महानगरपालिका में 2020 में शामिल किया गया।  इन 23 गांवों का डेवलपमेंट प्लान बनाने का काम पीएमआरडीए को सौंपा गया है।  इसको लेकर पुणे महानगरपालिका की तत्कालीन सत्ताधारी बीजेपी ने विरोध किया था।  इसके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया गया था। पीएमआरडीए द्वारा संपूर्ण सीमा के साथ ही 23 गांवों का डेवलपमेंट प्लान तैयार है।  उस पर आपत्तियां और सुझावों को लेकर सुनवाई भी शुरू है। पीएमआरडीए का अध्यक्ष पद अब तक मुख्यमंत्री के पास ही है। यह अध्यक्ष पद नए सरकार में मुख्यमंत्री शिंदे के पास ही रहने की अपेक्षा है। इसलिए 23 गांवों का डेवलपमेंट प्लान अंतिम करने का निर्णय पीएमआरडीए द्वारा ही किया जाएगा, ऐसी आशंका है। 

     ढाई वर्षों से राज्य के नगरविकास विभाग में पेंडिंग था

    पिछले पांच वर्ष महानगरपालिका में सत्ता में रह चुके बीजेपी ने येवलेवाड़ी गांव डेवलपमेंट प्लॉन को शहर सुधार और साधारण सभा में मंजूरी दी है।  यह रूपरेखा मंजूरी के बिना पिछले ढाई वर्षों से राज्य के नगरविकास विभाग में पेंडिंग है।  येवलेवाड़ी की रूपरेखा में बीजेपी के स्थानीय विधायक और पदाधिकारियों ने हस्तक्षेप करते हुए विरोधियों की जगहों पर आरक्षण बनाए हैं, ऐसे आरोप हुए है।  इसलिए येवलेवाड़ी के डेवलपमेंट प्लान को महाविकास आघाड़ी सरकार के नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने मंजूरी नहीं दी। हाल ही में राज्य में बीजेपी की मदद से एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन गए हैं। इसलिए येवलेवाड़ी के डेवलपमेंट प्लान को मंजूरी मिलने की संभावना जताई जा रही है।