(प्रतीकात्मक तस्वीर)
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

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    पिंपरी : पिंपरी-चिंचवड (Pimpri-Chinchwad) समेत पूरे राज्य में पुलिस भर्ती (Police Recruitment) जारी है। इसमें आरक्षण के साथ-साथ विभिन्न माध्यमों से सभी तत्वों को समायोजित करने का प्रयास किया गया है। हालांकि, पुलिस भर्ती में ट्रांसजेंडरों (Transgenders) के लिए कोई आरक्षण (Reservation) नहीं है। ट्रांसजेंडरों ने आरोप लगाया है कि पुलिस भर्ती में लिंग के आधार पर भेदभाव किया जाता है। पिंपरी-चिंचवड से ट्रांसजेंडर निकिता मुख्यदल (Nikita Main Dal) ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis) को ई-मेल के जरिए ज्ञापन भेजा है। 

    निकिता एक ‘ट्रांस’ महिला हैं। वह पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका के सुरक्षा विभाग में सुरक्षा गार्ड के पद पर कार्यरत हैं। साथ ही वर्तमान में वे पुलिस भर्ती के लिए पूरी तरह से अभ्यास कर रहे हैं। उनके साथ अन्य ट्रांसजेंडरों ने भी पुलिस भर्ती के लिए अभ्यास किया है। ट्रांसजेंडरों को उम्मीद थी कि इस साल की पुलिस भर्ती में ‘ट्रांसजेंडर’ के लिए आरक्षण होगा और हम भी सम्मान के साथ देश की सेवा कर पाएंगे। हालांकि पुलिस भर्ती में आरक्षण की बात तो छोड़िए, ‘ट्रांसजेंडर’ के लिए एक कॉलम तक नहीं है। भर्ती के लिए सभी कारकों पर विचार किया गया। फिर ट्रांसजेंडरों से परहेज करके उनके साथ अन्याय क्यों? क्या महाराष्ट्र के ट्रांसजेंडर देश के नागरिक नहीं हैं? अगर पुलिस भर्ती की तमाम तैयारियों के बावजूद उन्हें मौका ही नहीं दिया गया तो वे खुद को कैसे साबित कर सकते हैं? क्या नौकरी पाने के लिए लिंग महत्वपूर्ण है, योग्यता और प्रतिभा महत्वपूर्ण नहीं है, ऐसे कई सवाल उठाए गए हैं।

    पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका ने ट्रांसजेंडरों को भी रोजगार का मौका दिया है

    ज्ञापन में इस ओर ध्यानाकर्षित किया गया है कि झारखंड और कर्नाटक में ट्रांसजेंडर पुलिस है। फिर महाराष्ट्र में क्यों नहीं? पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका ने ट्रांसजेंडरों को भी रोजगार का मौका दिया है। ट्रांसजेंडर को पुलिस भर्ती में मौका दिए बिना उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। क्या ट्रांसजेंडरों को केवल भीख माँगनी चाहिए? यह अनुचित है। लैंगिक भेदभाव से बचने के लिए मांग की गई है कि ट्रांसजेंडरों को भी पुलिस भर्ती में मौका दिया जाए।