sanjay kakde

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    पुणे: साल 2017 में हुए महानगरपालिका चुनाव में पुणे (Pune)में भाजपा (BJP) को जीत (Victory) दिलाने में पूर्व सांसद संजय काकडे (Former MP Sanjay Kakde) का काफी योगदान रहा था। उन्होंने भाजपा को सत्ता दिलाने में खूब मेहनत की थी। चुनाव से पहले दूसरे दलों के जीताऊ उम्मीदवारों को भाजपा में लाने का काम किया था। नतीजा भाजपा नगरसेवकों की संख्या पुणे महानगरपालिका (Pune Municipal Corporation) में 98 हो गई थी। जिसके चलते भाजपा में उनका सिक्का चलने लगा था पर बाद में उनकी अहमियत पार्टी में धीरे-धीरे कम होने लगी।

    उनके लोगों को महानगरपालिका में पद नहीं दिए गए। नतीजा यह हुआ कि पार्टी में उनकी निष्क्रियता बढ़ गई है।   लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक काकडे की जगह पार्टी ने गिरीष बापट को टिकट दे दिया। इससे नाराज काकडे ने धीरे-धीरे पार्टी से दूरी बनाने लगे और फिर बाद में भाजपा के कार्यक्रमों से भी नदारद होने लगे। लेकिन अब महानगरपालिका चुनाव से पहले भाजपा को फिर से उनकी याद आने लगी है।  पार्टी ने उकनी खुशामद की है।   जिसके बाद वे फिर से सक्रिय होने लगे हैं।  

    प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के साथ साझा किया मंच  

    बीते रविवार काकडे ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के साथ एक कार्यक्रम में मंच साझा किया।  जिसके बाद से उनके मनमुटाव की खबरों पर पूर्णविराम लग गया।  इस कार्यक्रम के बारे में उन्होंने सोशल मीडिया पर कमेंट किया कि संजय काकडे जब भी कोई आकड़ा देते हैं, तब क्या होता है,यह बात पुणेकरों को मालूम है। मुझे आसमान में गोलियां दागने की आदत नहीं है। यानी उन्होंने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वे फिर से पार्टी में सक्रिय हो गए हैं। अगले साल फरवरी में होनेवाले महानगरपालिका चुनाव में भाजपा को जीताने के लिए वे फिर से चुनाव में कूद गए हैं।  

    एनसीपी में शामिल होने की चर्चा भी थी

    गौरतलब है कि गत महानगरपालिका चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने में पूर्व सांसद संजय काकडे का काफी योगदान था। ऐन चुनाव से पहले उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस और मनसे के कई नगरसेवकों को भाजपा में प्रवेश दिलाकर भाजपा की स्थति मजबूत कर दी थी। इसमें से अधिकतर ने चुनाव जीता। नतीजा अपने बलबूते भाजपा ने पुणे महानगरपालिका पर काबिज हो सकी। महानगरपालिका चुनाव के बाद विधानसभा चुनाम में भी कोथरूड, शिवाजीनगर और पुणे कैन्टोन्मेंट की सीट भाजपा की झोली में डलवाने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन महानगरपालिका में काकडे समर्थक नगरसेवकों को महत्वपूर्ण पदों से दूर रखा गया। जिससे काकड़े नाराज थे। बाद में लोकसभा चुनाव में टिकट कटने से वे काफी क्षुब्ध हो गए और भाजपा के कार्यक्रमों से दूर होते चले गए। हालांकि पार्टी ने उन्हें भाजपा का उपाध्यक्ष भी बनाया पर वे नहीं मानें। बीच में चर्चा भी चली कि वे एनसीपी में शामिल होने जा रहे हैं। ऐन चुनाव से पहले भाजपा को उनकी याद आई और पार्टी के बड़े नेताओं ने उनकी नाराजगी दूर करने के लिए उनसे संपर्क किया। जिसके बाद काकडे मान गए। अब वे फिर से पार्टी के कार्यक्रमों में दिखाई दे सकते हैं।