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    पिंपरी:  मरीजों (Patients) के साथ की जानेवाली लूटखसोट और उनके परिजनों के साथ की जानेवाली बदसलूकी को लेकर पिंपरी-चिंचवड़ (Pimpri-Chinchwad) के थेरगांव स्थित आदित्य बिर्ला हॉस्पिटल (Aditya Birla Hospital) से जुड़ी शिकायतों की गूंज दिल्ली (Delhi) तक सुनाई दे रही है। इस हॉस्पिटल ने मरीजों से कोरोना काल में अवास्तविक बिल वसूले। सरकारी योजनाओं का लाभ मरीजों को नहीं मिला। अस्पताल प्रशासन परिजनों के साथ अभद्र व्यवहार करता है। इस हॉस्पिटल की मृत्यु दर भी उच्च है। इस अस्पताल को लेकर कई शिकायतें हैं। यह शिकायत करते हुए शिवसेना सांसद श्रीरंग बारणे (Shiv Sena MP Shrirang Barne) ने मांग की है कि पिछले दो वर्षों में अस्पताल में हुई मौतों की गहन जांच और अवास्तविक बिलों की वसूली कर उचित कार्रवाई की जाए।

    इस संबंध में सांसद बारणे ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवी ने मिलकर उन्हें ज्ञापन दिया है। उन्होंने कहा है कि पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका क्षेत्र के थेरगांव में 500 बेड का आदित्य बिड़ला मेमोरियल अस्पताल है। इस अस्पताल को लेकर नागरिकों की ओर से लगातार शिकायतें आ रही हैं। कोरोना मरीजों से तक मनमाने बिल वसूला गया है। 

    अस्पताल को लेकर कई शिकायतें हैं

    वहीं, अगर समय पर अग्रिम और भुगतान नहीं किया जाता है तो मरीज का इलाज तुरंत बंद कर दिया जाता है। इससे रोगी निर्जलित हो जाता है। बीमित मरीजों से भी मनमाने बिल वसूला जाता है। कोरोना काल में अस्पताल ने मरीजों के साथ ठगी की। उनके रिश्तेदारों के साथ अभद्रता की जाती है। अस्पताल में डॉक्टरों और स्टाफ की संख्या बेड से भी कम है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण कई मरीज ठगे जाते हैं। कोरोना काल में सबसे ज्यादा मरीज इसी अस्पताल में भर्ती थे। इस अस्पताल को लेकर कई शिकायतें हैं। राज्य सरकार ने भी मामले की जांच की है। एक मरीज की मौत के मामले में पूरा भुगतान किए जाने तक शव को हिरासत में नहीं लिया गया था। शव को कई दिनों तक अस्पताल में रखा जाता है, जबकि नियम के मुताबिक, 12 घंटे के अंदर दाह संस्कार कर देना चाहिए।

    अस्पताल में सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता 

    सांसद श्रीरंग बारणे ने कहा कि इस अस्पताल में मरीजों को सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता है। निम्न आय वर्ग में आरक्षित बिस्तर मरीजों को उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं। इसको लेकर परिजन लगातार शिकायत कर रहे हैं। जहां सरकारी कर्मचारियों, केंद्रीय कर्मचारियों, सैनिकों के लिए आरक्षित बेड हैं, वहीं दाखिल करते समय बेड बैलेंस नहीं होने की बात कही जाती है। उन्हें भी बाहर रखा गया है। मरीजों के परिजन जब कुछ पूछने जाते हैं तो उनसे बदतमीजी और दादागिरी की जाती है। पुलिस को मामला दर्ज करने की धमकी दी जाती है या उन पर बाउंसर छोड़े जाते हैं। मरीजों, उनके रिश्तेदारों के साथ इस तरह का अपमानजनक व्यवहार किया जाता है। पुलिस भी ज्यादा ध्यान नहीं देती। 

    इलाज के नाम पर मरीजों से लूट

    बिड़ला अस्पताल में इलाज के नाम पर मरीजों को लूटा जा रहा है। इसकी शिकायत कलेक्टर, स्थानीय प्रशासन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से की गई है।  अस्पताल में मरीजों के साथ बदसलूकी को देखते हुए अस्पताल के हर लेन-देन की जांच होनी चाहिए।  पिछले दो वर्षों में अस्पताल में हुई मौतों की जांच होनी चाहिए। कोरोना मरीजो के बिल की वसूली की गहन जांच की जाएं और उचित कार्रवाई की जाए।