- पीकेसी लॉन्च करेगा एक मिलियन आकाशगंगा
– शैलेंद्र सिंह
पुणे : पुणे नॉलेज क्लस्टर (Pune Knowledge Cluster) (पीकेसी) का मिशन, रोमांचक विज्ञान (Exciting Science) ऐवन्यूज़ को नागरिकों (Citizens) तक लाना और खगोल शास्त्र के सभी मिशन (Missions) को सफल बनाना है। अपने इस लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए आगामी विज्ञान दिवस (28 फरवरी) के दिन एक सिटीजन साइंस एस्ट्रोनॉमी प्रोग्राम ‘वन मिलियन गैलेक्सीज़’ (One Million Galaxies) शुरू किया जाएगा। इसका उद्देश्य खगोलविदों द्वारा एकत्र किए गए विशाल मात्रा में डेटा की जांच करने की कठिनाई को दूर करने के लिए नागरिकों को शामिल करना है।
पीकेसी के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रो अजीत केंभवी ने दै. नवभारत को बताया कि यह कार्यक्रम रुचि रखने वाले लोगों को जिनके पास खगोल विज्ञान में कोई प्रशिक्षण नहीं है, उन्हें सक्षम बनाता है। वे आकाशगंगाओं में विशेषताओं (फीचर्स) को खोजने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए नागरिकों को केवल एक बुनियादी कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट या स्मार्टफोन और सेल फोन डेटा पैकेज के माध्यम से उपलब्ध एक उचित इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता होगी। आवश्यक प्रशिक्षण एक वीडियो लिंक पर शॉर्ट ट्रेनिंग सेशन के माध्यम से प्रदान किया जायेगा। प्रशिक्षण के बाद व्यक्ति अपने घर से भी आराम से कुछ ही घंटो में आकाशगंगाओं की जांच कर सकेंगे।
दुनिया के लिए भारत द्वारा महत्वपूर्ण योगदान
समर्पित प्रतिभागियों के साथ, पीकेसी को कुछ महीनों में एक मिलियन आकाशगंगाओं के एटलस का निर्माण करने की उम्मीद है। कार्यक्रम का प्रबंधन करने वाली पीकेसी की डॉ. दिशा सावंत ने बताया कि यह डेटा दुनिया भर में खगोलविदों और अन्य लोगों द्वारा उपयोग के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा, जो भारत द्वारा एक महत्वपूर्ण योगदान होगा, खास बात यह कि इसे इसके नागरिकों ने संभव बनाया है।
चुनौतीपूर्ण समस्याओं का समाधान के लिए पीकेसी की स्थापना
पीकेसी की स्थापना भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय द्वारा की गई है। इसका उद्देश्य वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग करते हुए, नए माध्यमों के जरिये क्षेत्र की चुनौतीपूर्ण समस्याओं का समाधान करने के लिए अकादमिक, अनुसंधान और विकास संस्थानों और पुणे के उद्योग को एक साथ लाना है। सिटीजन साइंस खगोलीय परियोजनाओं के लिए इंटरैक्टिव ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जिनमें से पहली बार एक मिलियन आकाशगंगाएं होंगी। इसको शौकिया खगोलविदों, कॉलेज के छात्रों, गृहिणियों, वरिष्ठ नागरिकों और अन्य लोगों की मदद से पायलट प्रोजेक्ट विकसित और परीक्षण के बाद लॉन्च किया गया था।
दृष्टिबाधित लोग भी खगोलीय कार्यक्रमों में भाग ले सकेंगे
टीम दृष्टिबाधित लोगों के लिए खगोल विज्ञान का एक कार्यक्रम भी विकसित कर रही है जो खगोलीय वस्तुओं के 3 डी मॉडल और ध्वनि (सोनीफिकेशन) में परिवर्तित दृश्य डेटा का उपयोग करेगा ताकि आकाश के चमत्कार उन लोगों के लिए सुलभ हो सके जो उन्हें अपनी आंखों से नहीं देख सकते। ऐसे छात्र भी सोनिफिकेशन का उपयोग करके नागरिक विज्ञान खगोलीय कार्यक्रमों में भाग लेने में सक्षम होंगे। पीकेसी की मुख्य संचालन अधिकारी डॉ. प्रिया नागराज ने कहा कि यह कार्यक्रम प्रयोगशालाओं में किए गए विज्ञान को बड़े समुदाय के लिए अधिक सुलभ बनाने में सहायक होगा। डॉ. नागराज ने बताया कि उन्होंने खगोल विज्ञान के साथ शुरुआत की है, लेकिन आगे कई अन्य प्रकार के वैज्ञानिक डेटा के लिए इस कार्यक्रम को लागू करने की प्लानिंग है।