MIT-WPU का इंटरनेशनल वर्च्यूअल कांफ्रेंस में जैविक और रासायनिक हथियारों पर निर्बंधों की अपील

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– संयुक्त राष्ट्र और PMO को एक कानूनी ढांचा प्रस्तुत करने का दिया प्रस्ताव

पुणे. आज जब पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ रही है, ऐसे में जैविक युद्ध और जैव आतंकवाद का खतरा दुनिया भर में एक ज्वलंत मुद्दा है. वायरस की उत्पत्ति को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं, कुछ लोग इसे जैविक युद्ध का आगाज़ होने का दावा भी कर रहे हैं. इस गंभीर स्थिति में तत्काल जैविक और रासायनिक हथियारों को नष्ट किया जाए, ऐसी अपील एमआईटी-वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल वर्च्यूअल कांफ्रेंस में की गई.

जैविक और रासायनिक हथियारों के उन्मूलन पर 4 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वर्च्यूअल सम्मेलन आयोजित किया गया. सम्मेलन में दुनिया भर से 20 हजार से अधिक प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी रही. इस सम्मेलन के माध्यम से, विश्वविद्यालय ने जागरूकता फैलाने के साथ ही जैव युद्ध के विरुद्ध युवाओं को जागृत करने का तथा हथियारों के अनुसंधान और विकास पर अंकुश लगाने के लिए एक कानूनी प्रावधान स्थापित करने का अंतिम लक्ष्य तय किया गया.

शांति और सद्भाव की दिशा में काम करने की शपथ लेनी चाहिए

परिषद में प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने हमारे सांसारिक जीवन में काफी व्यवधान पैदा किया है. कईयों का अनुमान है कि दुनिया पर वर्चस्व कायम करने के लिए जानबूझकर वायरस को फैलाया गया. उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि कुछ राष्ट्रों के लालच के कारण हम इंसान ही हैं, जो सबसे ज्यादा पीड़ित हैं. उन्होंने कहा कि हम सभी को एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने की बजाय शांति और सद्भाव की दिशा में काम करने की शपथ लेनी चाहिए.

काम करने के तरीके पर पुनर्विचार करने का समय

एमआईटी-डब्ल्यूपीयू के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल वि. कराड ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि कोविड-19 महामारी ने हमारे जीवन में ठहराव ला दिया है और यह हमारे लिए दुनिया के काम करने के तरीके पर पुनर्विचार करने का एक महत्वपूर्ण समय है. विश्व शांति के विचार के लिए समर्पित एक शिक्षण संस्थान के रूप में, हम जैव रासायनिक हथियारों के उन्मूलन की दिशा में काम करने में दृढ़ता से विश्वास करते हैं. इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के माध्यम से हमारा एजेंडा विभिन्न देश के लोगों को एक साथ लाकर जैव युद्ध के उन्मूलन के लिए एक तंत्र विकसित करने की तैयारियों के साथ ही जागरुकता पैदा करना था. एमआईटी-जब्ल्यूपीयू के कुलगुरु डॉ. एन. टी. राव ने कहा कि एमआईटी-डब्ल्यूपीयू में, विश्व शांति में विश्वास करने वाले सामूहिक रूप से अपना पक्ष रखने औऱ विचार-विमर्श के बाद एक निष्कर्ष पर आते हैं और दुनिया की भलाई के लिए प्रस्ताव पारित करते हैं.

कई लोग हुए शामिल

इस चार दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न क्षेत्रों के  दिग्गज जैव युद्ध के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने,अपनी विशेषज्ञता को साझा करने के के साथ संयुक्त रूप से एक कानूनी ढांचा बनाने की दिशा में योगदान दिया. इस कांफ्रेंस में अधिवक्ता सलमान खुर्शीद, न्यायमूर्ति के. जी. बालकृष्णन, जल संरक्षक डॉ. राजेंद्र सिंह, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के सदस्य सचिव, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के प्रबंध निदेशक डॉ. ए. वेलुमणि, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, प्रा. डॉ. अतनु बसु आदि शामिल हुए.