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    पिंपरी : मौजूदा राज्य सरकार (State Government) ने पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) में 11 अतिरिक्त नगरसेवकों (Corporators) की संख्या को रद्द कर दिया है, जिसे तत्कालीन महाविकास आघाड़ी सरकार ने पिंपरी-चिंचवड शहर की आबादी और शहरी विकास योजनाओं की गति की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए बढ़ाया था। नतीजन महानगरपालिका के नगरसेवकों की संख्या 128 ही रहेगी और यह स्पष्ट हो गया है कि चुनाव तीन सदस्यों से नहीं, बल्कि चार सदस्य प्रणाली से होगा। अब जबकि राज्य सरकार और चुनाव आयोग के बीच विवाद सुप्रीम कोर्ट में है? तब राज्य चुनाव आयोग क्या फैसला लेगा? इसने राजनीतिक नेताओं के साथ-साथ उम्मीदवारों का भी ध्यान आकर्षित किया है।

    राज्य सरकार के फैसले के अनुसार पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका का आम चुनाव 2017 की वार्ड संरचना के अनुसार होगा। यानी महानगरपालिका के 32 वार्ड और 128 नगरसेवक होंगे। अब सिर्फ नए सिरे से आरक्षण कराया जा सकता है। मौजूदा आरक्षण में बड़ा बदलाव हो सकता है। महाविकास आघाड़ी राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय आधार पर चुनाव कराने का आदेश दिया था। इसी तरह नगरसेवकों की संख्या 128 से बढ़ाकर 139 की गई। तीन सदस्यीय व्यवस्था के अनुसार 46 वार्ड होने थे। 139 नगरसेवकों में से 69 पुरुष और 70 महिला पार्षद थीं। 77 सीटें सामान्य वर्ग के लिए, 37 ओबीसी के लिए, 3 अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए और 22 अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित थीं। हालांकि अब राज्य सरकार ने 11 पार्षदों की बढ़ी हुई संख्या को रद्द कर दिया है। 2017 की तरह अब भी चार सदस्यीय प्रणाली से चुनाव होना है यानी 2017 की वार्ड संरचना यथावत रह सकती है।

    चार सदस्यीय व्यवस्था के तहत 32 वार्ड होंगे

    राज्य सरकार के नगर विकास विभाग ने इस संबंध में महानगरपालिका कमिश्नर को आदेश भेज दिया है। महानगरपालिका निर्वाचन विभाग करीब 1 साल से चुनाव की तैयारी कर रहा था। प्रारंभ में वार्ड का गठन एकल सदस्यीय आधार पर किया गया था। तत्कालीन सरकार ने इसे फिर से बदल दिया। उसके बाद तीन सदस्यीय व्यवस्था से चुनाव की प्रक्रिया हुई। ड्राफ्ट वार्ड स्ट्रक्चर, फाइनल वार्ड स्ट्रक्चर हो गया। मतदाता सूची को अंतिम रूप दिया गया। दो बार आरक्षण निकाला गया। ओबीसी के लिए निकाले गए अंतिम वार्डवार आरक्षण को 5 अगस्त 2022 को सरकारी राजपत्र में प्रकाशित किया जाना था। इस बीच, राज्य सरकार ने अचानक पार्षदों की संख्या 11 तक रद्द कर दी। इसलिए, नई वार्ड संरचना को रद्द कर दिया गया था और 2017 में 2011 की जनगणना के अनुसार वार्ड संख्या के रूप में तय किया गया था। इसे ऐसे ही बनाए रखा जाएगा। इसके चलते चुनाव विभाग के काम में बदलाव आया है। समय और पैसा भी बर्बाद हुआ है। 2017 में, चुनाव चार सदस्यीय प्रणाली में हुआ था। अब उसी हिसाब से चुनाव होगा। पार्षदों की संख्या 128 होगी। चार सदस्यीय व्यवस्था के तहत 32 वार्ड होंगे। 20 सीटें एससी के लिए और 3 सीटें एसटी के लिए आरक्षित होंगी।

    बीजेपी में खुशी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में गम

    तीन सदस्यीय वार्ड का ढांचा महाविकास अघाड़ी सरकार के समय बना था। तब आरोप लगे कि तत्कालीन उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के कहने के अनुसार और राष्ट्रवादी कांग्रेस की सुविधा के अनुसार चार्ज डिजाइन किया था। तब से कहा जा रहा था कि तीन सदस्यीय वार्ड का ढांचा राष्ट्रवादी के अनुकूल है। तीन सदस्यीय वार्ड व्यवस्था बीजेपी के लिए मुश्किल थी। इस बीच शिवसेना के बागी गुट और बीजेपी सरकार के सत्ता में आते ही वार्ड स्ट्रक्चर को खत्म करने की मांग की जा रही थी। अब जब राज्य सरकार ने नगरसेवकों की बढ़ी हुई संख्या को 11 तक रद्द कर दिया। तो बीजेपी के खेमे में खुशी छाई हुई है वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में सन्नाटा पसरा हुआ है। महानगरपालिक निर्वाचन विभाग के अनुसार महानगरपालिक के नगरसेवकों की संख्या में 11 की वृद्धि की गई थी। इसलिए नगरसेवकों की संख्या बढ़कर 139 हो गई। मगर, राज्य सरकार ने इसमें संशोधन कर दिया। इसलिए नगरसेवकों की संख्या पहले की तरह यानी 128 ही रहेगी।