Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation
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    पिंपरी. पवना और इंद्रायणी नदी (Pavana and Indrayani River) पिंपरी-चिंचवड़ शहर (Pimpri-Chinchwad City) से बहनेवाली नदियों (Rivers) के लिए प्रस्तावित नदी पुनर्जीवन परियोजना के लिए एसपीवी (SPV) कंपनी के गठन को लेकर मचाई गई जल्दबाजी से सत्तादल भाजपा (BJP) फिर एक बार विपक्ष के निशाने पर आ गया है। जहां विपक्षी दलों ने स्मार्ट सिटी (smart City) के गठित कंपनी की भांति गठित की जा रही इस कंपनी को भ्रष्टाचार का नया अड्डा बताकर सर्वसाधारण सभा में इसके प्रस्ताव का विरोध किया। 

    वहीं सत्तादल के नगरसेवक संदीप वाघेरे जो नदी सुधार योजना को लेकर शुरू से आग्रही रहे हैं, ने भी इसकी जल्दबाजी पर आपत्ति जताई। उन्होंने सवाल उठाया कि इससे पहले नदी सुधार योजना के लिए राष्ट्रीय हरित लवाद की मंजूरी के बगैर ही टेंडर निकालने की जल्दबाजी की गई, तड़के भूमिपूजन किया गया, उसका कितना काम शुरू या पूरा हुआ है। क्या यह टेंडर भी केवल कमीशन खाने के लिए निकाला गया? वाघेरे के इस सवाल से पूरा सभागृह स्तब्ध रह गया।

    13 सदस्यों की नियुक्ति करने का प्रस्ताव पेश किया गया था

    पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका की सितंबर महीने की सर्वसाधारण सभा ऑनलाइन तरीके से कल संपन्न हुई।  महापौर ऊषा ढोरे की अध्यक्षता में हुई इस सभा के एजेंडे पर 17 विषय शामिल थे, जिनमें से 14 विषय मंजूर किए गए, जबकि 3 विषय रद्द किए गए। तकनीकी कारणों से बैठक 10 मिनटों तक स्थगित करनी पड़ी। इसी सभा में पवना और इंद्रायणी नदी पुनर्जीवन परियोजना की अमलबाजी के लिए अलग से एसपीवी कंपनी का गठन कर उसमें महापौर समेत पदाधिकारी और अधिकारी आदि 13 सदस्यों की नियुक्ति करने का प्रस्ताव पेश किया गया था। इस कंपनी के जरिए परियोजना के लिए जमीन हस्तांतरण से लेकर सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) और सरकारी अनुदान हासिल करने तक का नियोजन करने की जिम्मेदारी निभाई जाएगी।स्मार्ट सिटी के लिए अलग कंपनी गठित कर वहां क्या कामकाज हो रहा है? इसकी खबर किसी को नहीं है। वहां करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार जारी है, जिस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। 

    विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई

    नदी पुनर्जीवन परियोजना के क्रियान्वयन के लिए अलग कंपनी (एसपीवी) भी स्मार्ट सिटी की तरह भ्रष्टाचार का अड्डा बनेगा। यह कहकर विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई। विपक्षी सदस्यों ने स्पष्ट किया कि उनका इस प्रस्ताव को लेकर विरोध नहीं, लेकिन कंपनी गठित करने से पहले इस पर हर पहलू से चर्चा के करने लिए ऑफलाइन बैठक की अनुमति मिलने तक इस प्रस्ताव को स्थगित रखा जाना चाहिए। हालांकि सत्तादल भाजपा ने बहुमत के जोर पर यह कहते हुए इस प्रस्ताव को मंजूर करा लिया कि, शहर के हित में लिए जानेवाले निर्णय में विपक्ष बेवजह अडंगा डालने का काम कर रहा है। 

    अंधेर नगरी चौपट राजा का कामकाज: संदीप वाघेरे

    विपक्ष के साथ सत्तादल भाजपा के नगरसेवक संदीप वाघेरे ने भी ‘अपनों’ को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि एनजीटी (राष्ट्रीय हरित लवाद) की मंजूरी न होते हुए भी नदी पुनर्जीवन योजना का टेंडर जारी करने के जल्दबाजी की गई, भले तड़के उसका शिलान्यास किया गया। उसका काम कहां तक पूरा हुआ है? इसकी कोई जानकारी नहीं है। क्या केवल कमीशन पैसे खाने के लिए ही टेंडर जारी किया गया था? सब ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ की तरह कामकाज चल रहा है। टेंडर की जल्दबाजी कर फिर लागत बढ़ाई जाती है, पर्यावरण विभाग क्या काम कर रहा है? स्मार्ट सिटी में स्वतंत्र कंपनी स्थापित की गई, वहां क्या कामकाज चल रहा है? यह पता नहीं चलता। क्या इसी के लिए नई कंपनी गठित की जा रही है? राष्ट्रवादी कांग्रेस के के नगरसेवक अजीत गव्हाणे ने कहा कि, गलत तरीके से सदन चलाया जा रहा है। नदी पुनर्जीवन योजना का कार्य जल्दबाजी में शुरू किया गया। वास्तव में कितना काम हुआ है? सारे नगरसेवकों को यह विषय पता होना चाहिए। स्मार्ट सिटी में कंपनी स्थापित करने के कारण वहां का कामकाज हम सबके लिए अज्ञात हैं। प्रभाग में जारी खुदाई काम तक के बारे में नगरसेवकों को पता नहीं होने दिया जाता। इस विषय पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए, तब तक यह विषय स्थगित रखा जाए। 

    जल्दबाजी करने की आवश्यकता नहीं 

    पूर्व महापौर मंगला कदम ने कहा कि नदी पुनर्जीवन का विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसमें जल्दबाजी करने की आवश्यकता नहीं है। यह विषय मंजूर होने के बाद फिर सभा में नहीं आएगा। आगे 12 लोग ही निर्णय लेंगे। महापौर को अपने कार्यकाल में महानगरपालिका को दिवालिया नहीं होने देना चाहिए, अध्ययन के लिए यह विषय स्थगित रखा जाना चाहिए। पूर्व महापौर योगेश बहल ने कहा कि नदियों की स्थिति भयानक है, यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस पर हर पहलू से चर्चा होनी चाहिए। ऑफलाइन सभा में यह विषय आने तक स्थगित किया जाए। मनसे के सचिन चिखले ने कहा कि एसपीवी में गुट नेताओं को अलग रखा है। पुणे में लिया जाता है तो पिंपरी में क्यों नहीं?

    एसपीवी भ्रष्टाचार का केंद्र होगा

    शिवसेना के राहुल कलाटे ने कहा कि नदी पुनर्जीवन प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के लिए एसपीवी स्थापित करते समय यह देखना जरूरी है कि स्मार्ट सिटी के लिए कंपनी बनाकर क्या हुआ? स्मार्ट सिटी की तरह एसपीवी भ्रष्टाचार का केंद्र होगा। जल्दबाजी में विषय मंजूर नहीं करना चाहिए। इस विषय को हमारा विरोध नहीं लेकिन कंपनी स्थापित करने को लेकर विरोध है। 

    विपक्ष के माइक म्यूट रहने के दौरान मंजूर हुआ प्रस्ताव

    विपक्षी नेता राजू मिसाल ने कहा कि विषय शहर हित को लेकर है, उस पर गहन चर्चा होना आवश्यक है। इस पर विस्तृत चर्चा करवाने के लिए अलग बैठक लें। सभागृह नेता नामदेव ढाके ने कहा कि, नदियां शहर की नसें और रक्त वाहिकाएं व वैभव होती हैं। अच्छे प्रोजेक्ट में अडंगा डालने का काम किया जा रहा है। महापौर उषा ढोरे ने माइक म्यूट रहने के दौरान ही विपक्ष का विरोध दर्ज करते हुए विषय मंजूर करने की घोषणा की, इस पर काफी हंगामा मचा।