नागरिक सुविधाओं के अभाव से त्रस्त, महानगरपालिका कर रहा रंगरोगन पर करोड़ों की फिजूलखर्ची

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    पिंपरी: पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) की झुग्गी बस्तियों (Slums) में रहने वाले लोगों को कई तरह की समस्याओं (Problems) का सामना करना पड़ रहा है। मलिन बस्तियों में दूषित पानी, सार्वजनिक शौचालयों की खराब स्थिति, बंद नालियां, कचरा आदि जैसी समस्याएं व्याप्त हैं। उनके समाधान के प्रति महानगरपालिका के अधिकारी और अधिकारी उदासीन नजर आ रहे हैं। 

    दूसरी तरफ, चुनाव (Election) को देखते हुए बिना वजह करोड़ों रुपए के काम की इजाजत दी जा रही है। वर्तमान में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ (Swachh Bharat Mission) के तहत पिंपरी-चिंचवड  शहर (Pimpri-Chinchwad City) में विभिन्न स्थानों पर लगभग 2 करोड़ रुपए की लागत से विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं। हजारों झुग्गी-झोपड़ियों की समस्याओं को सुलझाने के बजाय अधिकारियों द्वारा बस्तियों रंगरोगन पर खर्च किए जाने से नागरिकों में भारी रोष है। कष्टकरी जनता आघाड़ी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबा कांबले (Baba Kamble) ने  महानगरपालिका के सत्ताधारी और अधिकारियों पर झुग्गी-झोपड़ियों की समस्याओं को जस का तस रखकर उनका मजाक बनाने का आरोप लगाया।

    महानगरपालिका का किया जाएगा घेराव

    पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका के कुल बजट का 5% अनुसूचित जाति, वर्ग के कल्याण के लिए उपयोग किया जाना चाहिए, लेकिन उनके लिए धन का उपयोग किए बिना, इसे दूसरी जगह डायवर्ट किया जा रहा है। यह गरीब नागरिकों के साथ अन्याय है। गरीब नागरिकों की यह श्रेणी महानगरपालिका की नीति के कारण विकसित नहीं हुई है। इसके साथ ही उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति में चेतावनी दी कि झुग्गीवासियों की समस्याओं पर महानगरपालिका को घेरा जाएगा। 

    लापरवाही बरत रहा है स्वास्थ्य विभाग 

    बाबा कांबले ने  बताया कि महानगरपालिका की ओर से रंगरोगन किए पिंपरी टीपू सुल्ताननगर में निरीक्षण किया। इस दौरान यहां के नागरिकों ने समस्याओं की शिकायत की। क्षेत्र के सार्वजनिक शौचालयों की हालत खस्ता है। दरवाजे गिर जाने से महिलाओं और नागरिकों को काफी परेशानी हो रही है। बंद नालों को हटाने में स्वास्थ्य विभाग लापरवाही बरत रहा है, जगह-जगह नालियां जाम हो गई हैं और उसमें से दुर्गंध आ रही है। इस दौरान बीमारियों का प्रकोप तेज होता दिख रहा है। कचरे को लेकर काफी परेशानी हो रही है। स्वास्थ्य विभाग के वाहन यहां कूड़ा उठाने नहीं आते। इस एक झुग्गी बस्ती के साथ पिंपरी-चिंचवड़ शहर में 70 से अधिक मलिन बस्तियां हैं। पिछले कई सालों से इन झुग्गियों में रहने वाले लोगों को कोई सुविधा नहीं मिली है। 

    झुग्गी-झोपड़ियों की समस्या पर नहीं दिया जा रहा ध्यान

    इनकी सुविधा के लिए संस्था के माध्यम से लगातार फालोअप शुरू किया गया है। हमने बार-बार मांग की है कि पांच सौ वर्ग फुट के मकान का पुनर्वास किया जाए, लेकिन इन मांगों पर अभी तक सकारात्मक विचार नहीं किया गया है। ऐसी कई समस्याएं झुग्गीवासियों को परेशान करती हैं।  इनका समाधान तो दूर निगम अवांछित योजनाओं पर खर्च कर रहा है। फिलहाल पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम रंगरोगन के नाम से झुग्गीवासियों का मजाक उड़ा रहा है। वर्तमान में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत विभिन्न गतिविधियों पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। तस्वीर यह है कि ऊपर से शहर तो साफ-सुथरा दिखेगा, लेकिन झुग्गी-झोपड़ियों की समस्या को नजर अंदाज कर दिया जा रहा है।