PMP Buses
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पुणे: पीएमपीएमएल प्रशासन (PMPML Administration) ने ई-बसों (E-Buses) की संख्या बढ़ाई है, लेकिन उपनगरों के मार्गों पर अभी तक ऐसी बसों की संख्या कम है। लांग रूट पर ई-बसों का उपयोग ज्यादा होता है। वर्तमान समय में गर्मी की छुट्टियां, विवाह समारोह, साप्ताहिक छुट्टियां आदि दिनों में उपनगरों की मार्गों पर बसों का टाइम टेबल चरमरा गया है। इसके पीछे की मुख्य वजह इन मार्गों पर दौड़ रही स्क्रैप बसें (Scrap Buses) बताया जा रहा है। 

इस बारे में सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले दो साल से फॉलोअप किया जा रहा हैं, लेकिन पीएमपीएमएल प्रशासन को नई बसें उपलब्ध नहीं कराई गई हैं। इसलिए जो बसें उपलब्ध हैं और अन्य मार्गां पर और उपनगरों में स्क्रैप बसों का उपयोग पीएमपीएमएल प्रशासन को करना पड़ रहा हैं।

उपनगरों में बसों का ब्रेकडाउन बढ़ा

उपनगरों में पीएमपीएमएल बसों के ब्रेकडाउन के मामले बढ़ गए हैं। जर्जर हुई बसें यात्रियों की सुविधा की लिए उपयोग में लाई जा रही हैं। अगर कोई बस 10 साल तक इस्तेमाल की गई हो तो बाद में उसका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन 12 साल बीत जाने के बाद भी 327 बसें अभी भी सड़कों पर दौड़ रही हैं। 266 बसों को 10 साल पूरे होने में कुछ ही महीने शेष बचे हैं। ऐसी बसों के ब्रेक डाउन होने के मामले बढ़ गए हैं। पीएमपीएमएल के काफिले की सिर्फ 1,000 बसें ही वर्तमान समय में अच्छी स्थिति में हैं। पीएमपीएमएल की कई स्क्रैप बसें अभी भी सड़कों पर दौड़ रही हैं। इन बसों के ब्रेक डाउन होने के मामले काफी बढ़ गए हैं। पिछले तीन महीनों में पीएमपीएमल की खुद की मालिकाना और ठेकेदारों की मिलाकर कुल 2,891 बसों का ब्रेकडाउन हुआ हैं। इसके साथ हर रोज 32 से 35 बसें ब्रेकडाउन के चलते बंद हो पड़ जाती हैं, इससे यात्रियों की सेवा पर खराब असर पड़ रहा है।

यात्रियों को बसों में खड़े होकर करना पड़ रहा सफर

अगर एक महीने में कोई बस पांच बार बंद पड़ जाती है तो उसे सेवा से अस्थायी रूप से रद्द किया जाता है। ऐसे मामले पिछले एक-दो महीनों में काफी बढ़ गए हैं। बस रद्द होने पर उसे फिर से यात्रियों की सेवा में उपलब्ध करने के लिए 15 दिनों से एक महीने का समय लगता है। तब तक उस बस के यात्रियों का अतिरिक्त बोझ अन्य बसों पर पड़ जाता है। इसके चलते बसों का टाइमटेबल चरमरा जाता है। इससे यात्रियों को बसों में खड़े होकर यात्रा करनी पड़ रही है।

उपनगरों की सड़कों पर मुख्य रूप से पुरानी बसें छोड़ी जाती हैं। उपनगरों के मार्गों पर ई-बसों की संख्या बेहद कम है। पुरानी बसें बीच सड़क पर बंद पड़ने से यात्रियों को उचित सेवा नहीं दी जा रही हैं।

-बस चालक, हडपसर डिपो

पुणे महानगरपालिका से नई बसों की मांग की गई हैं, लेकिन जरूरी अधिक बसों के लिए निधि नहीं मिली है। नई बसें मिलने के बाद यात्रियों की सेवा में सुधार आएगा।

-प्रज्ञा पवार, एडिशनल मैनेजिंग डायरेक्टर, पीएमपीएमएल