-अक्षय फाटक
पुणे: राज्य में रिश्वतखोर लोकसेवकों की संख्या बढ़ती जा रही है। वहीं दूसरी तरफ इन रिश्वतखोरों ने रिश्वतखोरी के लिए निजी व्यक्ति (Private Person) का सहारा लेने की शुरुआत की है। पिछले कुछ वर्षों में निजी व्यक्ति की मदद से रिश्वत लेने के मामले काफी बढ़ गए है। पिछले साढ़े तीन वर्षों में एंटी करप्शन ब्यूरो (Anti Corruption Bureau) द्वारा की गई कार्रवाई में साढ़े पांच सौ निजी लोगों पर कार्रवाई की है। क्लास थ्री के बाद दूसरे नंबर पर निजी व्यक्ति का नंबर आता है। केवल रिश्वत (Bribe) लेने के लिए उनका इस्तेमाल किया जाता है।
राज्य में मुंबई, ठाणे, पुणे, नासिक, नागपुर, अमरावती, औरंगाबाद, नांदेड में एंटी करप्शन ब्यूरो के आठ विभाग है। इन विभागों की तरफ से उन उन परिक्षेत्र में रिश्वत लेने वालों पर कार्रवाई की जाती है, जबकि बेहिसाब प्रॉपर्टी जमा करने वालों की जांच कर केस दर्ज किया जाता है। इसके साथ ही हर वर्ष रिश्वतखोरी का मामला बढ़ता जा रहा है। लोकसेवकों द्वारा रिश्वत की मांग करने के बाद इसे लेकर एसीबी से शिकायत की जाती है। एसीबी पहले इसकी पड़ताल करती है। इसमें रिश्वत मांगे जाने की पुष्टि होने के बाद कार्रवाई की जाती है। केवल पैसे मांगने की पुष्टि होने के बाद केस दर्ज कर गिरफ्तारी की जाती है।
बगैर वेतन के फुल अधिकारी रहते हैं
एसीबी की कार्रवाई की संख्या बढ़ने के बाद इन लोकसेवकों को अब निजी व्यक्ति का सहारा लेने की शुरुआत करने की पिछले कुछ वर्षों की कार्रवाई में नजर आती है। जबकि कई लोग उन उन कार्यालय के बगैर वेतन के फुल अधिकारी रहते हैं। वहीं साहेब और संबंधित लोग शिकायतकर्ता से बात कर उनसे पैसे की मांग करते हैं और वहीं पैसे की लेन-देन के लिए आगे रहता है। इसलिए साहेब को ज्यादा रिस्क नहीं रहता है। ऐसे पंटर सभी तरफ नजर आते हैं। एसीबी की कार्रवाई में हर वर्ष निजी व्यक्ति की संख्या बढ़ती नजर आ रही है। पिछले वर्ष कोरोना काल में भी 165 निजी लोगों को पकड़ा गया था। इससे पूर्व 150 और 2019 में 185 निजी व्यक्ति पकड़े गए थे।
विश्वासी व्यक्ति का चयन
लोकसेवक रिश्वत लेने के लिए विश्वासी व्यक्ति का चयन करते है। हर विभाग में ऐसे विश्वासी पहले से होते है। वे पहले के लोकसेवक के कहने पर और इस व्यक्ति नए साहेब के करीब होकर विश्वास पैदा करते हैं। इनमें दोस्त, ड्राइवर, कार्यालय का निजी व्यक्ति, रिश्तेदार का इस्तेमाल किया जाता है। रिश्वत की रकम बड़ी होने की वजह से निजी व्यक्ति का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
निजी व्यक्ति तय करते है रकम
अधिकारी कभी भी खुद से रिश्वत मांगने के लिए आगे नहीं आते है। वे निजी व्यक्ति को रिश्वत लेने के लिए आगे करते हैं, लेकिन एसीबी की कार्रवाई के बाद उनके बीच के संबंध की परतों को खोलने या उनके कहने पर रिश्वत मांगने की बात सिद्ध करने के लिए एसीबी को कसरत करनी पड़ती है। यह निजी व्यक्त ही काम के लिए रकम तय करता है। उसका महीने का वेतन होता है, जबकि बड़ी रकम होने पर उसमें से भी कुछ रकम दी जाती है।
वर्ष | क्लास 1 | क्लास 2 | क्लास 3 | क्लास 4 | अन्य | निजी व्यक्ति |
2019 | 59 | 91 | 712 | 51 | 80 | 183 |
2022 | 44 | 76 | 519 | 52 | 52 | 150 |
2021 | 69 | 108 | 589 | 49 | 96 | 165 |
2022 | 33 | 55 | 269 | 22 | 32 | 67 |