अब रहने के लिए लायक नहीं पुणे की आबोहवा, 14 दिनों में ही काले पड़े कृत्रिम फेफड़े

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    पुणे: मुला और मुठा नदियों के किनारे बसा पुणे शहर (Pune City) रहने के मामले में देश के अग्रणी शहरों में शुमार है। न सिर्फ देश-विदेश से छात्र यहां पढ़ाई करने आते हैं, बल्कि नौकरीपेशा लोग स्थायी रूप से यहीं रहना पसंद करते हैं। इसकी वजह है यहां की आबोहवा (Climate)।  जो काफी अनुकूल मानी जाती रही है। पर अब ऐसा नहीं है। इस शहर को किसी की नजर लग गई है क्योंकि यहां की वायु दिन-ब-दिन प्रदूषित (Pollution) होती जा रही है। इसका पता लगाने के लिए पिछले दिनों, शहर में कृत्रिम फेफड़े (Artificial Lungs) लगाए गए, जो 14 दिनों के भीतर ही काले (Black) पड़ गए।

     शहर की शुद्ध हवा पर सबका अधिकार है, लेकिन हम ही हैं जो हवा को प्रदूषित कर रहे हैं। पुणेकर कितना प्रदूषित हवा ले रहे हैं, इसके बारे में उन्हें जानकारी हो इसलिए महाराज रोड पर  कृत्रिम  फेफड़े लगाए गए । यह परियोजना ‘क्लीन एयर पुणे’ के अंतर्गत पुणे महानगरपालिका द्वारा संचालित किया जा रहा है। पुणे में जंगली महाराज रोड पर पिछले साल 27 दिसंबर को मेयर मुरलीधर मोहोल के हाथों  कृत्रिम  फेफड़ा स्थापित किया गया। उस समय  कृत्रिम   फेफड़ों का रंग सफेद होता था, लेकिन चौदह दिन बाद रंग काला हो गया है। फेफडे में लगाये गए डिजिटल मॉनिटर में पीएम 2.5 का स्तर 70 से अधिक है। इससे साफ हो जाता है कि पुणे के लोग रोजाना कितनी प्रदूषित वायु अपने फेफड़ों में सांस के दौरान ले रहे हैं।

    शहर की स्थिति और भी बदतर

    जानकार बताते हैं कि यह स्थिति तो संभाजी उद्यान की है। जो काफी हराभरा है। यदि ये फेफड़े शहर के व्यस्ततम रूट पर लगाया गया होता तो यह स्थिति और खतरनाक दिखाई देगी। शहर में वाहनों की बढ़ती संख्या के चलते पीएम 2.5 का स्तर बढ़ रहा है। पिछले 14 दिनों से शहर में टंगे इन  कृत्रिम  फेफड़ों में लगाये गए डिजिटल मॉनिटर में पीएम 2.5 का स्तर 70 से ज्यादा ही आ रहा है। जो कि शहर के वायु प्रदुषण का खराब स्तर दिखा रहा है। पीएम 2.5 का स्तर अगर 0 से 50 तक रहे तो वो अच्छा माना जाता है। पीएम यानी पार्टिकुलेट मैटर, अत्यंत सूक्ष्म होते हैं जो आमतौर पर हवा में पाए जाते हैं और सांस के जरिए हमारे फेफड़ों में जाते हैं। यह रक्त वाहिकाओं में प्रवेश करता है और मस्तिष्क सहित किसी भी अंग में प्रवेश कर सकता है।

    प्रदूषित वायु के परिणाम

    वायु प्रदूषण आंखों, नाक, त्वचा और श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। साथ ही प्रदूषण के कारण मधुमेह, मानसिक रोग, अल्जाइमर जैसी तंत्रिकाओं से संबंधित रोग, हृदय विकार, कैंसर का कारण बन सकते हैं। प्रदूषण का खामियाजा बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।

    कैसे सुधारें वायु की गुणवत्ता

    निजी वाहनों की बजाय सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल हो। हो सके तो लोग साइकिल या फिर पैदल चलें। शहर में पैदल मार्ग, साइकिल मार्ग की व्यवस्था की गई है। जनप्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों को  प्रदूषण सम्बन्धी जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।