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प्रतीकात्मक तस्वीर

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महाराष्ट्र/मध्यप्रदेश: कई गुनेहगार को अदालत कुछ ऐसी सजाएं देती है जिसके बारे में जानकर हम दंग रह जाते है। जी हां कुछ ऐसा ही मध्य प्रदेश की सीहोर जिला अदालत में हुआ है। दरअसल यहां बीते शुक्रवार को अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसके बारे में जानकर आप भी दंग रह जाएंगे। अदालत ने चिटफंड कंपनी शुरू कर करोड़ों रुपये डूबाने वाले साईं प्रसाद कंपनी के निदेशक को 250 साल कैद की सजा सुनाई गई है। इतना ही नहीं इस कंपनी की सीहोर शाखा में कार्यरत कर्मचारियों को पांच साल के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई गई है। 

इन्हें भी हुई सजा 

आपको बता दें कि 250 साल की सजा पाने वाले आरोपी का नाम बालासाहेब भापकर है। भापकर के साथ कंपनी की सीहोर शाखा के कर्मचारी दीप सिंह वर्मा, लखनलाल वर्मा, जितेंद्र कुमार और राजेश परमार को भी पांच-पांच साल कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। सीहोर जिला न्यायालय के विशेष न्यायाधीश संजय कुमार शाही ने यह सजा सुनाई। अब इस सजा के बारे में जानकर हर कोई दंग है। इसके चलते अब उन्हें सजा सुनाई गई है। 

5 साल में दोगुना पैसा

जानकारी के लिए आपको बता दें कि आरोपी बालासाहेब भापकर ने साईं प्रसाद नाम से एक चिटफंड कंपनी बनाई। इस कंपनी के जरिए ग्राहकों को पांच साल में अपना पैसा दोगुना करने का लालच दिया जाता था। कई लोगों ने लालच में आकर इस चिटफंड कंपनी में पैसा लगाया। लेकिन जब भुगतान की बारी आई तो कंपनी के कर्मचारियों ने कंपनी पर ताला लगा दिया और फरार हो गए। 

250 साल की सजा

कंपनी के ग्राहक जब अपना पैसा लेने कंपनी के दफ्तर पहुंचे तो सामने का नजारा देख उनके होश उड़ गए। इस मामले में सीहोर थाने में 2016 में एफआरआई दर्ज कराई गई थी। प्राप्त शिकायत के अनुसार पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। अब कोर्ट ने इस कंपनी के डायरेक्टर को 250 साल की सजा सुनाई है। 

पुणे का रहने वाला

दरअसल इस चिटफंड कंपनी के डायरेक्टर बालासाहेब भापकर पुणे के रहने वाले हैं। वह दीप सिंह वर्मा, राजेश उर्फ चेतनारायण परमार, लखन लाल वर्मा और जितेंद्र कुमार वर्मा के साथ इस कंपनी को चला रहा था। इस मामले में बालासाहेब भापकर को 250 साल की सजा सुनाई गई है। कंपनी के कर्मचारियों को पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। फ़िलहाल इस सजा की बहुत चर्चा हो रही है।