Traffic Jam in Pune

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    पुणे: कात्रज से डेक्कन कार्नर (Katraj to Deccan Corner) की दूरी 9 किमी है। जिसे बस से नापने में आमतौर पर 45 मिनट लगते हैं। पर अब यह बीते दिनों की बात हो गई है। दूरी वहीं है पर समय बढ़ गया है। शनिवार को इस दूरी को तय करने में ढ़ाई घंटे लग गए। यह अब रोज की बात हो गई है। यह हाल शहर की सभी सड़कों का है। फिर चाहे वह तिलक रोड हो, एलबीएस रोड हो, जे एम रोड हो, फर्ग्युसन रोड हो या फिर कर्वे रोड अथवा शिवाजी रोड हो, वाहनचालकों को अपनी मंजिल तक पहुंचने में काफी जद्दोहजद करनी पड़ती है। नतीजा वाहनचालकों में आए दिन विवाद होते रहते हैं। लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ रहा है। लोग चिड़चिड़ा होते जा रहे हैं। 

    शहर के ध्वनि प्रदूषण के साथ ही वायु प्रदूषण भी बढ़ने लगा है। इन सबके लिए पुणेकर (Punekars) खुद जिम्मेदार हैं क्योंकि इतने सोहदे और आलसी हो चले हैं कि सार्वजनिक वाहनों से चलने में उन्हें शर्म आती है। नतीजा शहर के हर घर में दो से तीन बाइक और एक कार खड़ी नजर आएगी। तो फिर सड़कों पर वाहनों का कारवां तो नजर आएगा ही। उपर से ट्रैफिक नियमों को मानने की जहमत क्यों उठाएं भला। पढ़े-लिखे होशियार लोग हैं यहां के, उनका समय कीमती है। एक पल अगर रूक गए तो लाखों का नुकसान जो हो जाएगा। सो सिग्नल की ऐसी की तैसी हम तो कहीं से भी कभी भी जा सकते हैं। पर इसकी बिना पर पुणे ट्रैफिक विभाग को मुरव्वत नहीं दी जा सकती। वह अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकता।   

     मुख्य सड़कों को जोड़नेवाली उप सड़कें बनी वजह

    आमतौर पर देखा गया है कि शहर की मुख्य सड़कों की सिग्नल पर तो ट्रैफिक कर्मी तैनात होते हैं। जिससे वहां जाम नहीं लगता पर इन सड़कों से बीच-बीच में जुड़नेवाली उप सड़कों पर ट्रैफिक कर्मी खड़ा नहीं होता। नतीजा लोग नियमों की बिना परवाह किए बीच से ही सड़क पर घुस जाते हैं, नतीजा मुख्य सड़क के वाहन अटक जाते हैं-लंबी-लंबी कतारें लग जाती हैं। कोई भी वाहन पास नहीं हो पाता। घंटों तक वाहन वहीं खड़े रहते हैं या चींटी की चाल से गुजरते हैं। पर इस ओर ट्रैफिक विभाग ध्यान नहीं देता। इन सबके बीच सवाल यह पैदा होता है कि इसका हल कैसे निकलेगा और निकलेगा तो कब। 

    सड़कों की खस्ता हाल को ठीक करना होगा

    पीएमपी प्रवासी मंच से जुड़े जुगल राठी का कहना है कि इन सबके लिए प्रशासन जिम्मेदार है। वह लोगों की अनदेखी कर रहा है, सबसे पहले सड़कों की खस्ता हाल को ठीक करना होगा। पीक आवर में उसे नियोजन करना होगा। केवल सार्वजनिक बसों को ही मंजूरी होनी चाहिए। कार, बाइक को इस समय आवागमन पर रोग लगा देनी चाहिए।

    ट्रैफिम जाम का नजारा पुणे में अब आम हो चुका है। हमें भी अब इसकी आदत सी पड़ गयी है। इसके चलते हम अपनी मंजिल पर विलंब से पहुंचते हैं। यह उभरते पुणे और लोगों के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। ट्रैफिक प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए।

    -बस यात्री, पुणे

    शुक्रवार रात तेज बारिश की वजह से जगह-जगह जलजमाव और पेड़ गिरने की वजह से आवागमन अवरूद्ध हुआ। शनिवार को स्पताहांत होने की वजह और दीपावली की शॉपिंग के लिए अधिक लोग खरीदारी के लिए घरों से बाहर निकले। जिसकी वजह से लोगों को ट्रैफिक जाम से गुजरना पड़ा। हालांकि इसे ध्यान में रखते हुए 700 ट्रैफिक कर्मियों को शहर की विभिन्न सड़कों पर तैनात किया गया था, ताकि आवागमन सुचारू हो सके।

    -राहुल श्रीरामे, डीसीपी ट्रैफिक पुलिस, पुणे शहर