Rahul Kalte

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    पिंपरी. स्थायी समिति सदस्य (Standing Committee Member) नियुक्ति को लेकर शिवसेना (Shiv Sena) में मचे सियासी घमासान के बाद वरिष्ठ नगरसेवक राहुल कलाटे (Corporator Rahul Kalte) ने पिंपरी-चिंचवड़ मनपा में पार्टी के गुटनेता पद से इस्तीफा (Resignation) दे दिया। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन के जरिए इसकी जानकारी देते हुए कहा कि पार्टी के आदेशानुसार गुटनेता के पद से इस्तीफा दे दिया। उन्हाेंने अपना इस्तीफा पुणे के संभागीय आयुक्त साैरभ राव काे साैंप दिया है। 

    फरवरी 2017 में हुए मनपा चुनाव में शिवसेना के 9 नगरसेवक चुनकर आए थे। राहुल कलाटे वाकड़ प्रभाग क्रमांक 25 से चुनकर आए थे। मनपा में पहली बार चुनकर आए शहर प्रमुख रहे राहुल कलाटे काे शिवसेना ने गुटनेता बनाया। उन्हें दाे वर्ष स्थायी समिति सदस्य रहने का भी माैका मिला। इसके साथ ही चिंचवड़ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से उन्हाेंने विधानसभा का चुनाव भी लड़ा है। उन्हें एक लाख से अधिक वाेट मिले थे। उन्होंने यहां से लगातार तीन बार विधायक चुने गए भाजपा के लक्ष्मण जगताप को कड़ी टक्कर दी थी। 

    18 फरवरी काे नये आठ सदस्याें की नियुक्ति की गई

    मनपा की स्थायी समिति के सदस्य पद पर 18 फरवरी काे नये आठ सदस्याें की नियुक्ति की गई। शिवसेना के काेटे से अश्विनी चिंचवड़े का नाम पार्टी ने दिया था, लेकिन गुटनेता राहुल कलाटे ने अपनी समर्थक मीनल यादव का नाम घोषित किया। इस पर से सांसद श्रीरंग बारणे गुट आक्रामक हाे गया था। पार्टी के आला नेताओं से इसकी शिकायत की गई। इस पर पार्टी ने 24 फरवरी काे कलाटे काे नाेटिस भेजकर उनका जवाब मांगा था। उसके बाद 16 मार्च काे कलाटे ने गुटनेता पद से इस्तीफा दे दिया। पार्टी को कुछ लोगों की जिद पूरी करनी पड़ती है, अपने विरोधी गुट पर यह कटाक्ष करते हुए कलाटे ने पार्टी के आदेशानुसार इस्तीफा देने की बात स्पष्ट की।

    एक निष्ठावान कार्यकर्ता को न्याय दिया

    स्थायी समिति सदस्य नियुक्ति को लेकर जारी घमासान पर कलाटे ने बताया कि एक सीट के लिए पार्टी के नगरसेवकों से आवेदन मंगाए गए थे। इसमें रेखा दर्शिले, मीनल यादव और एड सचिन भोसले के आवेदन प्राप्त हुए। अश्विनी चिंचवड़े ने आवेदन भी नहीं किया था। तीनों नामों के बारे में पार्टी के संपर्क प्रमुख को सूचित किया गया था। सदस्यों की नियुक्ति वाले दिन सभागृह में दोपहर सवा दो बजे तक संपर्क प्रमुख से इनमें से कोई सदस्य का नाम नहीं सुझाया गया। ऐसे में पार्टी के आदेश का उल्लंघन किया गया, ऐसा मुझे नहीं लगता। मीनल यादव के रूप में एक निष्ठावान कार्यकर्ता को न्याय दिया, यह भी उन्होंने कहा।