PIMPRI CRIME

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    पिंपरी. 25 लाख रुपए की फिरौती (Ransom) के लिए गाड़ी के साथ अगवा किए गए 32 वर्षीय युवक की रिहाई के लिए पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस (Pimpri-Chinchwad Police) ने 60 घंटे का ऑपरेशन (60 Hours of Operation) सफल रहा। 14 पुलिस अधिकारी और 57 पुलिसकर्मियों ने इसमें हिस्सा लिया। इन टीमों में हिंजवड़ी पुलिस, क्राइम ब्रांच यूनिट-4, फिरौती विरोधी दस्ता, गुंडा विरोधी दस्ता, साइबर पुलिस, डकैती विरोधी दस्ता के अधिकारी और कर्मचारी शामिल रहे।  60 घंटे के ऑपरेशन के बाद अपहृत युवक की सकुशल रिहाई करने के साथ ही पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार (Arrested) करने में सफलता प्राप्त की, यह जानकारी पिंपरी-चिंचवड़ के पुलिस कमिश्नर कृष्ण प्रकाश (Pimpri-Chinchwad Police Commissioner Krishna Prakash) ने एक संवाददाता सम्मेलन में दी।

    इस मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों में प्रवीण सुरजसिंह चितोडीया (24), वामन मारूती शिंदे (39), दिलीप सत्तन पासवान (32), द्रुपचंद श्रीशिवलाल यादव, (38), योगेंद्र श्रीरामचंद्र प्रसाद (25), संदीप प्रकाश सोनावणे (38) का समावेश है। 28 सितंबर को मारुंजी निवासी एक 32 वर्षीय युवक उसकी आल्टो कार के साथ गुमशुदा रहने की शिकायत उसके भाई ने हिंजवड़ी पुलिस थाने में दर्ज कराई थी। बाद में यह सामने आया कि उसे फिरौती के लिए अगवा किया गया था।

    क्या है पूरा मामला

    पुलिस कमिश्नर ने बताया कि हिंजवड़ी पुलिस अभी छानबीन में जुटी ही थी कि तड़के पांच बजे गुमशुदा युवक के मोबाइल से उसके भाई को फोन कॉल आया। इसमें उसके अगवा किए जाने की जानकारी देकर उसेसे 25 लाख रुपए की फिरौती मांगी गई। युवक के भाई ने पुलिस को इसकी जानकारी दी। मामले की गंभीरता भांपते हुए वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक बालकृष्ण सावंत ने पुलिस कमिश्नर कृष्ण प्रकाश और अन्य आला अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। अपहृत युवक की जान के लिए खतरा हो सकता है, यह अंदेशा जताकर स्टेशन डायरी में घटना दर्ज कर सावधानी पूर्वक जांच के आदेश दिए गए। क्राइम ब्रांच यूनिट 4 के पुलिस निरीक्षक प्रसाद गोकुले, फिरौती विरोधी दस्ते के पुलिस निरीक्षक श्रीराम पौल, गुंडा विरोधी दस्ते के सहायक पुलिस निरीक्षक हरीश माने की टीम हिंजवड़ी पुलिस की मदद के लिए भेजी गई। तब तक हिंजवड़ी की डिटेक्शन ब्रांच (डीबी) के सहायक पुलिस सागर काटे और उनकी टीमें एक्सप्रेस वे और हिंजवड़ी में खोज मुहिम में जुटी रही।

    कैसे चली खोजबीन

    तकनीकी विश्लेषण के आधार पर एक टीम अंबरनाथ भेजी गई। 29 सितंबर को अपहृत युवक के भाई को फिर फोन किया और पैसों के इंतजाम के बारे में पूछताछ की। साथ ही पैसे लेकर पुणे स्टेशन परिसर में बुलाया। इसके लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाकर श्रीराम पौल, बालकृष्ण सावंत, प्रसाद गोकुले ने नकली नोट उपलब्ध कराए। नकली नोट के बंडल पर असली दो हजार की नोट रखकर सारे पैसे एक प्लास्टिक बैग में रखकर पुणे स्टेशन क्षेत्र में जाल बिछाया। मगर आरोपी ने रात में फोन नहीं किया।  इसलिए पुलिस ने सुबह टीम को वापस बुला लिया।  वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने उनसे कहा कि वे आरोपी के फोन का इंतजार करें, इस बात का ख्याल रखें कि अपहृत युवक की जान को कोई खतरा न हो। उन्होंने यह भी महत्वपूर्ण निर्देश दिए कि सख्त गोपनीयता बनाए रखते हुए किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाए। 

    दूसरे दिन फिर किया फोन

    इस बीच, सादी वर्दी में पुलिस टीमों ने मारुंजी, कासारसाई, जाम्बे और हिंजवड़ी इलाकों में छापेमारी की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। दूसरे दिन सुबह 7 बजे अपहरणकर्ताओं का फिर फोन आया और युवक को जान से मारने की धमकी देकर पुलिस को बताए बिना पैसे लेकर आने को कहा। 

    कैसे चला ऑपरेशन

    अपहरणकर्ताओं ने शुरुआत में यह नहीं बताया कि पैसा कहां लेकर आना है इसलिए पुलिस तय नहीं कर सकी कि जाल कहां बिछाना है। जब सभी टीमें सादे कपड़ों में योजना बना रही थीं, तभी रात के करीब डेढ़ बजे अपहरणकर्ताओं का फोन आया और तुरंत पैसे लेकर लोनावला बुलाया। लोनावला आते समय उसने दोपहिया वाहन पर अकेले आने की धमकी दी। इसके बाद पुलिस ने जाल बिछाया।  इसकी सूचना खोपोली और लोनावला शहर और ग्रामीण पुलिस को दी गई। शिकायतकर्ता के पास एक ऑल्टो कार है और पुलिस को आगे के निर्देशानुसार कार्रवाई करने के लिए सूचित किया गया था। तय अनुसार अपहृत युवक का भाई एक पुलिसकर्मी के साथ तड़के 4 बजे लोनावला पहुंचे। इसके बाद अपहरणकर्ताओं ने उन्हें अकेले खोपोली घाट में आने को कहा। खोपोली और लोनावला पुलिस को पुनः सचेत किया गया। अपहृत युवक के भाई से सुरक्षित अंतर बनाकर पुलिस निजी गाड़ियों में उसके पीछे रही। शीलफाटा के पास अपहृत युवक की गाड़ी नजर आयी। इसके बाद खोपोली पुलिस की मदद से उस गाड़ी और उसमें रहे 5 लोगों को हिरासत में लिया गया।

    कौन था मास्टर माइंड

    पूछताछ में इस पूरे अपहरण कांड का मास्टर माइंड मारुंजी निवासी प्रविण सुरजसिंह चितोडीया रहने की बात पता चली। उसे हिरासत में लेकर पूछताछ करने पर उसने बताया कि उन्होंने अपहृत युवक को ठाणे के अंबरनाथ में एक घर में कैद कर रखा है। वहां से उसे सकुशल रिहा कराया गया। उसके मोबाइल का सिम कार्ड आइटेल कंपनी के मोबाइल में डालकर उसके जरिए डील की जा रही थी। प्रवीण अपने फोन से अपहृत युवक के साथ रखे वामन शिंदे को फोन कर अपने मोबाइल का लाउडस्पीकर ऑन कर आइटेल के मोबाइल से युवक के भाई को फोन कर फिरौती की मांग करता। इसी वजह से फोन का लोकेशन मारुंजी का मिलता और पुलिस को तकनीकी विश्लेषण में दिक्कत आती रही। इस पूरे ऑपरेशन में हिंजवडी थाने के 4 अधिकारी, 20 अंमलदार, अपराध शाखा युनिट चार के 2 अधिकारी और 10 अमलदार, डकैती विरोधी दस्ते के 2 अधिकारी, 7 अमलदार, फिरौती विरोधी दस्ते के 2 अधिकारी और 8 अमलदार, गुंडा विरोधी दस्ते के 2 अधिकारी, 7 अमलदार, साइबर विभाग में सीडीआर विश्लेषण करने वाले 2 अधिकारी और 5 अमलदार कुल 14 पुलिस अधिकारी और 57 अमलदारों के समावेश वाली टीमों ने हिस्सा लिया।