मनसे को अलविदा कह शिवसेना में शामिल होंगे वसंत मोरे!, पुणे में संजय राउत से मुलाकात के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म

    Loading

    पुणे: जब से मनसे (MNS) ने हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का मुद्दा उठाया है, तब से पुणे (Pune) के मनसे के फायरब्रांड नेता वसंत मोरे (Vasant More) की मनसे से दूरी के कयास तेज हो गए हैं क्योंकि वे पार्टी से कटे-कटे रह रहे हैं। हालांकि उनका आरोप है कि पार्टी के स्थानीय नेता उनकी अनदेखी कर रहे हैं। बीच में खबर चली कि वे मनसे छोड़ कर शिवसेना जा सकते हैं। पर तब वसंत मोरे ने मना कर दिया। वहीं मंगलवार को पुणे में एक शादी समारोह के दौरान वसंत मोरे और शिवसेना नेता संजय राऊत के बीच हुई मुलाकात ने इस चर्चा को और बल मिल गया है। अब देखना है कि क्या वसंत मोरे मनसे को राम-राम कर शिवसेना जाएंगे?  

    मिली जानकारी के मुताबिक, संजय राऊत और वसंत मोरे की मुलाकात पुणे में एक शादी समारोह में हुई। सूत्रों की मानें तो संजय राऊत ने वसंत मोरे के काम की तारीफ की। इसके अलावा राऊत ने मोरे को तात्या कहकर पुकारा। ऐसे में शादी समारोह में शामिल होने वाले अन्य नेताओं और पदाधिकारियों ने दोनों के बीच एक अलग ही बॉन्डिंग को महसूस किया।

    इस प्रस्ताव पर चर्चा तेज

    कुछ दिन पहले मनसे ने ठाणे में एक बैठक की थी। उस समय वसंत मोरे ने भी बात की थी। सूत्रों ने बताया कि संजय राऊत ने भी वह भाषण सुना था। वहां मौजूद सूत्रों ने बताया कि संजय राऊत ने चलते चलते मोरे से कहा कि वे फिर मिलेंगे। इसलिए राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राऊत ने वसंत मोरे को शिवसेना में शामिल होने का प्रस्ताव दिया।

    राज ठाकरे के फैसले का किया था विरोध

    मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने कुछ दिन पहले मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर को हटाने का अल्टीमेटम दिया था। उस समय मोरे ने राज ठाकरे के इस फैसले का खुलकर विरोध किया था। उन्होंने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि मुस्लिम कार्यकर्ताओं के नाराजगी की बात कही थी। उसके बाद वसंत मोरे को पुणे के पद से हटा दिया गया। जिसके बाद चर्चा थी कि वसंत मोरे किसी और पार्टी में जा सकते हैं। खास बात यह है कि मोरे ने खुद मीडिया से खुलकर कहा था कि उन्हें सभी पार्टियों से ऑफर मिले हैं।

    पार्टी कार्यक्रम पत्रिका में नहीं था मोरे का नाम

    पिछले महीने पुणे में मनसे कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित की गई थी। कार्यक्रम पत्रिका में वसंत मोरे का नाम नहीं था। जिसके बाद पुणे में मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा मोरे को पार्टी से बाहर करने की कोशिश किए जाने की चर्चा भी जोरों पर थी। वसंत मोरे ने इस मामले में नाराजगी जताते हुए कहा था कि वह अपने वरिष्ठों से शिकायत करेंगे। अब संजय राऊत और वसंत मोरे की मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारे में मोरे के पार्टी से बाहर जाने की चर्चा जोरों पर है। इसके पीछे क्या कोई राजनीतिक कारण है? निकट भविष्य में साफ़ हो जाएगा।