पुणे: राज्य कैबिनेट की बैठक में स्कूली बसों (School Buses) के टैक्स माफ (Tax Exemption) करने का फैसला लिया गया। इस निर्णय के अनुसार स्कूल बसों को 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2022 तक की अवधि के लिए वार्षिक कर से 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। इस निर्णय का ट्रांसपोर्ट संगठनों (Transport Organizations) ने स्वागत किया है। सरकार के इस फैसले से राज्य में स्कूली छात्रों (School Students) को ले जाने वाले करीब एक लाख निजी बसों को फायदा होगा। ऐसा दावा महाराष्ट्र राज्य माल और यात्री परिवहन संगठन के अध्यक्ष बाबा शिंदे ने किया।
स्कूली बसों को टैक्स में छूट देने के निर्णय का स्वागत करते हुए बाबा शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र में सभी संगठन पिछले एक साल से राज्य सरकार से राहत की मांग कर रहे थे। हम राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णय का स्वागत करते हैं। सरकार के इस फैसले से राज्य में स्कूली छात्रों को ले जाने वाली करीब एक लाख निजी बसों को फायदा होगा। पिछले दो साल से स्कूल बस परिवहन की बसें पूरी तरह से बंद हैं। इसमें कुछ लोगों ने गलती से वाहन का इस्तेमाल न करने के लिए आवेदन (नॉन यूज) नहीं दिया है। लेकिन बसें पूरी तरह बंद हैं, ऐसा भी शिंदे ने कहा।
बिना शर्त दिलाएं रियायत
पुणे बस एंड कार ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजन जुनवने ने इस फैसले पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि स्कूल-बस ओनर्स एसोसिएशन द्वारा इस विषय में लगातार प्रयास किया गया था। विशेष रूप से अनिल गर्ग और उनकी टीम द्वारा अच्छा फॉलोअप किया गया। इस फैसले से स्कूल बस चालकों और मालिकों को निश्चित तौर पर फायदा होगा। हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि यह रियायत बिना शर्त दिलाएं।
शहर में पांच हजार से अधिक स्कूली बसें
पुणे शहर में स्कूली बच्चों को ले जाने वाली करीब साढ़े पांच हजार निजी बसें हैं और पिंपरी-चिंचवड़ में करीब तीन हजार ऐसी बसें हैं। केवल स्कूली बच्चों को ले जाने वाली बसों पर 100 रुपए प्रति सीट-प्रति वर्ष की दर से कर लगाया जा रहा है, और 50 सीटों वाली बस पर 5,000 रुपए प्रति वर्ष कर लगाया जाता है।
आईटी कंपनी के साथ ही अन्य पैकेज टूर वाहनों को छूट मिले
राज्य सरकार द्वारा फिलहाल सिर्फ स्कूल बसों को टैक्स में रियायतें दी गई हैं। हालांकि, अन्य पैकेज टूर और आईटी कंपनियों की गाड़ियां भी बंद हैं। वे भी बड़ी संकट में हैं। इसलिए उन वाहनों के लिए भी कर राहत, बैंक ऋण और बीमा मामलों में रियायत दिए जाने की मांग की जा रही है।