Sewage Treatment Plant
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    पिंपरी: बोपखेल में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (Sewage Treatment Plant) पिंपरी- चिंचवड महानगरपालिका प्रशासन (Pimpri-Chinchwad Municipal Administration) बनाम जनप्रतिनिधि के बीव एक नया विवाद शुरू हो गया है। बीजेपी (BJP) के पूर्व नगरसेवक विकास डोलस (Former Corporator Vikas Dolas) ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए प्रशासन को नागरिकों के अधिकारों के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है। इसे लेकर उन्होंने महानगरपालिका प्रशासक और कमिश्नर राजेश पाटिल को ज्ञापन सौंपा है।

    उन्होंने कहा है कि प्रशासन ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के क्रियान्वयन में लापरवाही करने वाली सोसायटियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। शहर में पर्यावरण संरक्षण और नागरिक स्वास्थ्य के मामले में प्रशासक के रूप में इस भूमिका का स्वागत किया जाना चाहिए। हालांकि, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के संबंध में प्रशासन की भूमिका सोसायटी धारकों और खुद अधिकारियों के साथ न्यायसंगत क्यों नहीं है? यह सवाल भी उन्होंने उठाया है।

    गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित

    बोपखेल को महानगरपालिका में शामिल हुए करीब 20 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन आज भी गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। एक तरफ रक्षा विभाग की सीमा और दूसरी तरफ नदी के कारण गांवों  का विकास बाधित हो रहा है। हालांकि, बीजेपी के शासन के दौरान हमने कई सड़कों और बुनियादी ढांचे की समस्या को हल करने का प्रयास किया है। इस कड़ी में बोपखेल में उत्पन्न अपशिष्ट जल के उपचार के लिए एक परियोजना शुरू करने के लिए टेंडर जारी किया गया। हालांकि, पहली बार में एनजीटी, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से रोड़ा अटकाए गए। दूसरी बार एनजीटी, राज्य सरकार, यूडी जैसे सभी विभागों की अनुमति से टेंडर प्रक्रिया के बाद अनुबंध हुआ। मगर पिछले छह महीने से कोई वर्क ऑर्डर जारी नहीं किया गया है। 

    प्रशासन एनसीपी के दबाव में काम कर रहा?

    राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दबाव में आदेश को निलंबित कर दिया गया। इस संबंध में पार्टी के पूर्व शहर अध्यक्ष संजोग वाघेरे ने खुद मीडिया को बताया कि हमारी मांग पर एसटीपी परियोजना का काम रोक दिया गया है। तो क्या प्रशासन एनसीपी के दबाव में काम कर रहा है? यह सवाल हो रहा हैं। पूर्व नगरसेवक डोलस ने कहा कि अगर टेंडर प्रक्रिया में त्रुटियां हैं तो हम मांग करते हैं कि टेंडर प्रक्रिया को ही रद्द कर बोपखेल के लोगों के लिए रास्ता साफ किया जाए। साथ ही, क्या टेंडर प्रक्रिया के रद्द होने के बाद पहली, दूसरी और अब तीसरी टेंडर प्रक्रिया में हुए समय की बर्बादी और बढ़ती लागत के लिए संबंधित अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराने जा रहे हैं? क्या मामले में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी? एक प्रशासक के रूप में इसकी घोषणा भी की जानी चाहिए। नया टेंडर जारी कर प्रोजेक्ट का काम शुरू किया जाए, नहीं तो बोपखेलकरों के हक के लिए हम कोर्ट की लड़ाई शुरू कर देंगे।