mobile Pond

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    पुणे:  इस वर्ष गणेशोत्सव (Ganeshotsav) पर कोई प्रतिबंध नहीं है। गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan) के लिए शहर के विभिन्न स्थानों पर विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाब (Artificial Pond) उपलब्ध कराए जाएंगे। उसके बावजूद गणपति विसर्जन के लिए चलते फिरते हौद की व्यवस्था कर 1 करोड़ 35 लाख रुपए बर्बाद किए जा रहे हैं।  नागरिकों की मांग न होते हुए और प्रशासन के अधिकारियों के विरोध के बावजूद कुछ लोगों के लिए यह टेंडर प्रक्रिया लागू की जा रही है, ऐसा आरोप लगाया जा रहा है। 

    पुणे महानगरपालिका ने गणेश विसर्जन के लिए शहर के विभिन्न स्थानों और घाटों पर 46 तालाबों का निर्माण किया गया है।  शहर में विभिन्न स्थानों पर विसर्जन के लिए 359 लोहे की टंकियों का उपयोग किया जाएगा। उसके साथ 191 मूर्ति संग्रह केंद्रों की व्यवस्था होगी।  इसके अलावा कई नागरिक बहते पानी में गणपति को विसर्जित करने पर जोर देते हैं।  यह व्यवस्था कोरोना से पहले मौजूद थी,  लेकिन कोरोना के चलते नागरिकों को घरों से बाहर निकालने पर लगी रोक के चलते विसर्जन के लिए मोबाइल हौद की सुविधा देने का निर्णय लिया गया।  2020 में 30 चलते-फिरते हौद थे, जबकि 2021 में 60 चलते फिरते हौद की व्यवस्था की गई थी। 

    दो दिन में इसकी टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी

    इस वर्ष कोई कोरोना प्रतिबंध नहीं है, इसलिए 2019 की तरह गणेश विसर्जन के लिए 46 तालाब, 359 लोहे की टंकी, 191 मूर्ति संग्रह केंद्र जैसी व्यवस्थाएं होंगी।  इसके साथ ही बहते पानी में भी विसर्जन किया जाएगा।  बावजूद इसके 1 करोड़ 35 लाख रुपए की लागत से 150 मोबाइल हौद किराए पर लिए जा रहे हैं। दो दिन में इसकी टेंडर प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।  कोरोना काल में जब सिर्फ 60 हौद थे, अब 150 हौद क्यों ऐसा सवाल उठाया जा रहा है।  किसी की मांग नही होते हुए भी पुणे महानगरपालिका कमिश्नर इन हौद पर जोर क्यों दे रहे है। या फैसला शहर के हित में नहीं है।  इसलिए टेंडर प्रक्रिया को रद्द किया जाए, ऐसी मांग सजग नागरिक मंच के विवेक वेलणकर ने की।