Hemant Rasne

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    पुणे. पुणे महानगरपालिका (Pune Municipal Corporation) में शामिल किए गए 34 गांवों के जीएसटी (GST), स्टाम्प ड्यूटी (Stamp Duty) का कुल 11 सौ करोड़ रुपए महानगरपालिका का बकाया है। उसे पीएमसी (PMC) को राज्य सरकार लौटाए। यह मांग स्थायी समिति के अध्यक्ष हेमंत रासने (Standing Committee Chairman Hemant Rasne) ने की है। ये पैसे पीएमसी को मिले इसके लिए राज्य सरकार से लगातार फॉलोअप किया जा रहा है। ऐसा भी रासने ने स्पष्ट किया।

    स्थायी समिति की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में रासने ने इस संदर्भ में जानकारी दी। राज्य सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर पुणे महानगरपालिका के हिस्से का पैसा आना बाकी है, ऐसा दावा उन्होंने किया। पीएमसी की सीमा में 4 साल पहले 11 गांव और हाल ही में 23 गांव शामिल हुए हैं। इन गांवों के जीएसटी और स्टाम्प ड्यूटी का 25 करोड़ रुपए राज्य सरकार के पास बाकी है। स्टाम्प ड्यूटी विभाग की ओर से वसूले जाने वाले मुद्रांक शुल्क का एक फीसदी रकम महानगरपालिका को दिया जाता है। राज्य सरकार के पास अक्टूबर 2019 से सितंबर अंत तक कुल 333 करोड़ 74 लाख रुपए बकाया हैं।

    मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन

    रासने ने बताया कि जुलाई 2017 से जीएसटी लागू हुआ है। राज्य सरकार के पास कुल 736 करोड़ 20 लाख रुपए बकाया है। इसमें इससे पहले शामिल हुए 11 गांवों के 17 करोड़ 81 लाख रुपए, हाल ही में शामिल किए गए 23 गांवों के 9 करोड़ 81 लाख रुपए का जीएसटी शामिल है। राज्य सरकार को जीएसटी का हिस्सा केंद्र सरकार से मिलता है, लेकिन इस जीएसटी में से महानगरपालिका के हिस्से का जीएसटी राज्य सरकार ने नहीं दिया है। वहीं स्टाम्प ड्यूटी राज्य सरकार वसूल करती है। यह रकम भी समय पर नहीं मिल रही है। ऐसा दुख रासने ने जताया। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री और पालक मंत्री अजीत पवार, नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे को ज्ञापन भी सौंपा गया है।