Dr. Ambrish & Dr Sneha

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पिंपरी: काम का बढ़ता बोझ (Increasing Workload), मल्टी-टास्किंग और क्रॉस-फंक्शनल स्किल्स (Cross-Functional Skills), दूर से काम करने के तरीकों को अपनाने, कम वेतन और वेतन में कटौती, नौकरी (Job) बनाए रखने की दुविधा के कारण 81 प्रतिशत कॉर्पोरेट कर्मचारियों को ‘वर्क-लाइफ बैलेंस’ (Work-Life Balance) हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा हैं और इसमें 56 प्रतिशत अनुपात महिलाओं का है, यह निष्कर्ष निकाला गया हैं।

आदित्य बिर्ला एजुकेशन ट्रस्ट की पहल ‘एम्पावर’ और ग्लोबल मार्केट रिसर्च एंड पब्लिक ओपिनियन ‘आईपीएसओएस’ इन दो संस्था के सहयोग से ‘कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य और स्वास्थ की व्यापकता’ पर सर्वेक्षण किया गया। 

दस सेक्टरों में कार्यरत कर्मचारियों का एक सर्वेक्षण किया गया

इसमें भारत के प्रमुख शहरों में कॉर्पोरेट कर्मचारियों के सामने आने वाली चुनौतियों और मुद्दों पर प्रकाश डाला गया। करीब पांच महीने तक चले इस सर्वे में 3,000 से ज्यादा कॉरपोरेट कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की जांच और अध्ययन किया गया। पुणे सहित भारत के महत्वपूर्ण शहरों के दस सेक्टरों में कार्यरत कर्मचारियों का एक सर्वेक्षण किया गया।

इन शहरों में हुआ सर्वे

पुणे के साथ-साथ मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद, बैंगलोर, अहमदाबाद शहरों के बैंकिंग, ऑटोमोबाइल, आईटी, हॉस्पिटैलिटी, ई-कॉमर्स, हेल्थकेयर एजुकेशन, एफएमसीजी, बीपीओ, ड्यूरेबल्स इन क्षेत्र में 3,000 कर्मचारियों का एक सर्वेक्षण किया गया। इसमें मैनेजर, सीनियर मैनेजर, अकाउंट मैनेजर, डायरेक्टर, एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट, वाइस प्रेसिडेंट, मैनेजिंग डायरेक्टर, सीईओ आदि शामिल हैं। करीब पांच महीने तक चले इस सर्वे में नौकरी, काम में संतुलन, परिवार और रिश्तों में तनाव, आर्थिक अस्थिरता का अध्ययन किया गया। इसमें 1,627 पुरुष और 1,373 महिलाएं शामिल हैं।

वेतन कटौती ने कर्मचारियों को काफी प्रभावित किया 

पुणे के कर्मचारियों में प्रेरणा की कमी और तनाव भी प्रमुख समस्याएं हैं। वेतन कटौती ने शहर के कर्मचारियों को काफी प्रभावित किया है। वेतन कटौती का परिणाम 48 प्रतिशत कर्मचारियों पर हुआ है, जबकि 46 प्रतिशत कर्मचारी अपर्याप्त वेतन का सामना कर रहें है। जब स्वास्थ्य और फिटनेस की बात आती है, तो पुणे में लोगों के लिए पीठ दर्द एक प्रमुख चिंता का विषय है। 46 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इसे एक समस्या के रूप में बताया हैं। इसके अतिरिक्त पुणे में 34 प्रतिशत लोग घुटने के दर्द की शिकायत करते हैं।

सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रकाशित

इस सर्वे के बारे में ‘एम्पावर’ पुणे सेंटर के प्रमुख और मनोचिकित्सक डॉ. स्नेहा आर्या और मनोचिकित्सक और एम्पॉवर के क्लिनिकल ऑपरेशंस एंड रूरल इनिशिएटिव के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट डॉ. अंबरीश धर्माधिकारी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उक्त जानकारी दी। इसी कॉन्फ्रेंस में सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रकाशित की गई।

 सामाजिक जीवन, संबंधों को यह प्रभावित कर रहा 

डॉ. स्नेहा आर्या ने कहा कि काउंसलिंग के लिए आने वाले 24 से 40 वर्ष के बीच के युवाओं की संख्या में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। पुणे की व्यक्तियों के लिए काम से संबंधित तनाव और वर्क-लाईफ संतुलन की कमी यह चिंता का विषय बन गया है। लगातार काम का तनाव, लंबे समय तक काम करना और हमेशा काम पर रहने की संस्कृति के कारण बर्नआउट, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं निर्माण हो रही हैं। कार्यस्थल के साथ साथ उनके व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन, संबंधों को यह प्रभावित कर रहा है। इसमें महिला कर्मचारियों को ज्यादा परेशानी हो रही है।

प्रतिस्पर्धी प्रकृति कर्मचारियों के तनाव के स्तर को बढ़ा रही 

डॉ.अंबरीश धर्माधिकारी ने कहा कि नौकरी और व्यवसाय के अवसरों के केंद्र पुणे में निरंतर, मल्टी-टास्किंग और क्रॉस-फंक्शनल वर्किंग प्रैक्टिस आदर्श बन रही हैं। नतीजतन, तनाव का उच्चतम स्तर यहां है। कोरोना ने मानसिक स्वास्थ्य को सुर्खियों में ला दिया है। कॉर्पोरेट जगत की प्रतिस्पर्धी प्रकृति कर्मचारियों के तनाव के स्तर को बढ़ा रही है। कंपनियों को कर्मचारियों के लिए परामर्श, मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं, वर्क-लाईफ बैलेंस के लिए पूरक नीतियों, संचारी और समावेशी भावना को विकसित करने की आवश्यकता है। संगठनों को कर्मचारियों के कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए।

कॉर्पोरेट बर्नआउट, कर्मचारियों में मानसिक स्वास्थ्य, तनाव चिंताजनक स्तर पर है। समस्या के समाधान के लिए ठोस कार्रवाई की जरूरत है। एम्पॉवर' के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य परामर्श, संवाद सत्र आयोजित करने और मानसिक स्वास्थ्य चर्चाओं को समाप्त करने के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार और कॉर्पोरेट दोनों स्तरों पर नीतिगत परिवर्तनों के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत हैं। मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए हमारे देश की बेहतरी के लिए एक स्वस्थ, अधिक उत्पादक कार्यबल बनाने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए।

-डॉ. नीरजा बिर्ला, संस्थापक अध्यक्ष, आदित्य बिर्ला एजुकेशन ट्रस्ट और 'एम्पावर'