दोलायमान हुई विपक्षी नेता और NCP के शहराध्यक्ष की कुर्सी, पिंपरी-चिंचवड़ में चली बदलाव की बयार

  • उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की भूमिका की ओर गड़ी निगाहें

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पिंपरी. चंद माह की दूरी पर पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) के आम चुनाव (Election) होने जा रहे है। दो या तीन सदस्यीय प्रभाग पद्धति को लेकर रहा संभ्रम भी दूर हो गया है। कांग्रेस (Congress) के विरोध को ताक पर रखकर राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय प्रभाग पद्धति से चुनाव कराने के फैसले पर मान्यता की मुहर लगा दी है। एक तरह से महानगरपालिका चुनाव (Municipal Elections) का बिगुल बज गया है, मगर सत्ता में वापसी के सपने देख रही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अपने अंदरूनी झगड़ों और मतभेदों से उबर नहीं सकी है। चुनावी तैयारियों को छोड़ एनसीपी में बदलाव की बयार तेज हो गई है। पार्टी में शहर इकाई के अध्यक्ष और मनपा में विपक्ष के नेता की कुर्सी दोलायमान हो गई है। ऐन चुनाव के मुहाने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में बदलाव की बयार तेज होने से सियासी गलियारों में अचरज जताया जा रहा है। 

लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने के बाद से उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के पुत्र पार्थ पिंपरी-चिंचवड़ में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की कमान अपने हाथों में लेने की लगातार कोशिशों में जुटे हैं। इसके चलते एनसीपी में हाईकमान शरद पवार, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को माननेवाले गुटों के अलावा अब पार्थ का साथ देने वाला एक अलग गुट बन गया है। 

13 को शरद पवार की बैठक

इनमें दोनों पवार चाचा-भतीजे को मानने वाले कुछ नेता और नगरसेवक भी शामिल हैं। हालांकि पूरे शहर और महानगरपालिका में पार्थ पवार की अपनी एक अलग यंत्रणा कार्यरत है। इससे एनसीपी के स्थानीय नेताओं के खेमे में बेचैनी बढ़ गई है। उसी में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने अपने निजी सहायक की नियुक्ति कर शहर में जनता दरबार आयोजित कर स्थानीय नेताओं पर अविश्वास जताया। इसके जवाब में पार्टी के पुराने स्थानीय नेता और पूर्व नगरसेवक एकजुट हो गए और उनके एक प्रतिनिधि मंडल ने पार्टी हाईकमान शरद पवार से मुलाकात कर उनसे शहर में ध्यान देने की गुहार लगाई है। ‘बड़े’ पवार ने भी इन नेताओं के साथ 13 अक्टूबर को एक बैठक करने की हामी भर दी है। 

अटल माना जा रहा है बदलाव 

स्थानीय नेताओं की शरद पवार से मुलाकात के बाद से एनसीपी के खेमे में बदलाव की बयार फिर एक बार तेज हो गई है। फिर से शहराध्यक्ष संजोग वाघेरे और महानगरपालिका में विपक्षी नेता राजू मिसाल की कुर्सी डोलने लगी है। उसी में मिसाल को इस कुर्सी पर आरूढ़ हुए एक साल का कार्यकाल पूरा होने बदलाव अटल माना जा रहा है। हालांकि उनके साथ वाघेरे को शहराध्यक्ष पद से हटाने की गतिविधियां भी तेज हो गई हैं। ये दोनों भी नेता अजीत पवार के साथ-साथ पार्थ पवार के भी काफी करीब है। सत्तादल भाजपा के साथ मिलीभगत के आरोपों और तमाम शिकायतों के बाद भी इनकी कुर्सियां बरकरार रहने की यह बड़ी वजह बताई जा रही है। 

एनसीपी चीफ से की शिकायत

पार्टी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात में स्थानीय नेताओं ने वाघेरे और मिसाल की ठेकेदारी में संलिप्तता और सत्तादल भाजपा के साथ मिलीभगत की शिकायत किए जाने की खबर है। यही वजह है कि भाजपा के सैकड़ों करोड़ के घोटाले और भ्रष्टाचार सामने आने के बाद भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ओर से चाहिए वैसा विरोध नहीं किया जा रहा है। नतीजन महानगरपालिका चुनाव के मद्देनजर अच्छा माहौल रहने के बावजूद एनसीपी उसका लाभ नहीं उठा पा रही है। इन हालातों में शरद पवार की 13 अक्टूबर की बैठक और नए विपक्षी नेता को लेकर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की भूमिका की ओर सभी की निगाहें गड़ गई हैं।