नागपुर. महाराष्ट्र (Maharashtra) की उपराजधानी नागपुर (Nagpur) में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में धारा 370 (Article 370) हटने के बाद सभी लिए विकास का रास्ता खुल गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि जम्मू (Jammu) और लद्दाख (Ladakh) में अब कोई भेदभाव नहीं है। पहले यहां भेदभाव किया जाता था। भगवत नागपुर में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान बोल रहे थे।
भागवत ने कहा, “मैंने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया और वर्तमान स्थिति देखी। धारा 370 हटने के बाद सभी के लिए विकास का रास्ता खुल गया है। अनुच्छेद 370 के बहाने जम्मू और लद्दाख में पहले भेदभाव किया जाता था। वह भेदभाव अब मौजूद नहीं है।”
संघ प्रमुख ने कहा, “कश्मीर घाटी के लिए जो किया गया उसका 80% राजनीतिक नेताओं की जेब में चला गया और लोगों तक नहीं पहुंचा। अब कश्मीर घाटी के लोगों को विकास और लाभ प्राप्त करने की सीधी पहुंच का अनुभव हो रहा है।”
80% of what was done for Kashmir valley, used to end up in the pockets of political leaders and not reach people. Now people of Kashmir valley are experiencing direct access to development and availing of benefits: RSS chief Mohan Bhagwat in Nagpur (Maharashtra)
— ANI (@ANI) October 16, 2021
वहीं संघ प्रमुख ने विजयादशमी उत्सव पर रेशिमबाग में डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर में आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए देश में कुछ मंदिरों की हालत पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि हिंदू मंदिरों के संचालन का अधिकार हिंदू श्रद्धालुओं के हाथों में ही होना चाहिए। हिंदू मंदिरों के धन का उपयोग सिर्फ हिंदू समुदाय के कल्याण के लिए ही किया जाना चाहिए।
भागवत ने कहा कि दक्षिण भारत में मंदिरों पर राज्य सरकारों का पूर्ण नियंत्रण है, जबकि देश के दूसरे भागों में कुछ मंदिरों का संचालन सरकार तो कुछ का हिंदू श्रद्धालुओं द्वारा किया जाता है। हिंदू मंदिरों के धन का उपयोग गैर-हिंदुओं के लिए किया जा रहा है, जिनका हिंदू देवी-देवताओं में कोई यकीन नहीं है। हिंदुओं के लिए इस धन की जरूरत है, लेकिन उनके लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा।
संघ प्रमुख ने कहा कि यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी हिंदू मंदिरों को लेकर आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि मंदिरों के स्वामी भगवान हैं। पुजारी सिर्फ प्रबंधक हैं। सरकार केवल प्रबंधन के लिए मंदिरों को अपने नियंत्रण में ले सकती है, वह भी कुछ समय के लिए। उन्होंने कहा कि यह निर्णय किए जाने की जरूरत है कि हिंदू समाज किस तरह से इन मंदिरों की देखभाल करे।