
नागपुर. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को कहा कि हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर के देश की आजादी के लिए दिए गए बलिदान की कोई अनदेखी नहीं कर सकता है, लेकिन उनसे असहमति को राष्ट्रीय मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि आज देश के समक्ष कई और ज्वलंत मुद्दे हैं जिनपर ध्यान देने की जरूरत है।
विदेशी जमीन पर कथित तौर पर भारत के खिलाफ बोलने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निशाने पर आए कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बचाव करते हुए पवार ने कहा कि वह पहले भारतीय नहीं हैं जिन्होंने देश के मुद्दों पर विदेश में बात की है। नागपुर के प्रेस क्लब में पवार ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की।
I don’t think that this (Rahul Gandhi’s London speech) issue is that much important because it is not that criticism is being done today only in the past also leaders have criticised the government. Only now such issues are being brought up repeatedly. If people have problems…
— ANI (@ANI) April 1, 2023
वह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के यहां स्थित आवास पर उनसे मिलने भी गए। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने सावरकर के मुद्दे पर राहुल गांधी से बात की है और क्या कांग्रेस नेता दिवंगत हिंदुत्व विचारक की आलोचना में कमी लाएंगे तो पवार ने कहा कि हाल में 18-20 पार्टियां एक साथ बैठीं और देश के समक्ष मौजूद मुद्दों पर चर्चा की।
उल्लेखनीय है कि भाजपा राहुल गांधी पर सावरकर का ‘अपमान’ करने का आरोप लगा रही है। वह, उनके सम्मान में सावरकर गौरव यात्रा भी निकाल रही है। उन्होंने कहा, “मैं सुझाव दूंगा कि इस बात पर विचार करने की जरूरत है कि जो इस समय सत्ता में हैं वे देश को किस ओर ले जा रहे हैं।”
पवार ने कहा, “आज, सावरकर राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है, यह पुरानी चीज हो गई है। हमने सावरकर के बारे में कुछ बातें कही हैं, लेकिन वे व्यक्तिगत नहीं हैं। मैं हिंदू महासभा के खिलाफ था, लेकिन दूसरा पक्ष भी है। हम सावरकर द्वारा देश की आजादी के लिए दिए गए बलिदान की अनदेखी नहीं कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि करीब 32 साल पहले उन्होंने संसद में सावरकर के प्रगतिशील विचारों के बारे में बात की। पवार ने कहा कि सावरकर ने रत्नागिरी में मकान बनाया था और उसी के सामने छोटे से मंदिर का भी निर्माण कराया था।
पवार ने बताया, “सावरकर ने मंदिर में पूजा की जिम्मेदारी बाल्मिकी समाज के व्यक्ति को दी थी। मेरा मनाना है कि वह बहुत ही प्रगतिशील बात थी।”
राकांपा नेता ने कहा कि राष्ट्रीय कथानक में सावरकर पर जोर देने की जरूरत नहीं है, खासतौर पर तब जब आम लोगों को चिंतित करने वाले कई बड़े मुद्दे हैं। (एजेंसी)