मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने कथित फोन टैपिंग (Phone Trapping) और संवेदनशील दस्तावेज लीक करने के मामले में भारतीय पुलिस सेवा की वरिष्ठ अधिकारी रश्मि शुक्ला (IPS Officer Rashmi Shukla) के खिलाफ कोई कठोर कदम उठाने की स्थिति में महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) को उन्हें सात दिन का नोटिस (Notice) देने का बुधवार को निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की खंडपीठ ने शुक्ला की वह याचिका भी खारिज कर दी, जिसममें उन्होंने मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी रद्द करने और मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को हस्तांतरित करने का अनुरोध किया था। प्राथमिकी में वह नामजद नहीं हैं। शुक्ला अभी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (दक्षिण क्षेत्र) हैं और हैदराबाद में पदस्थ हैं। शुक्ला उस वक्त महाराष्ट्र खुफिया विभाग का नेतृत्व कर रही थी जब पिछले साल कथित फोन टैपिंग हुई थी।
पीठ ने शुक्ला की याचिका पर अपने आदेश में कहा, ‘‘दोनों ही अनुरोध–प्राथमिकी रद्द करने और मामला सीबीआई को हस्तांतरित करने–खारिज किये जाते हैं। यदि राज्य सरकार याचिकाकर्ता (शुक्ला) के खिलाफ कोई कठोर कदम उठाने का इरादा रखती है तो उसे याचिकाकर्ता को सात दिन का नोटिस देना होगा। ” इस साल अक्टूबर में महाराष्ट्र सरकार ने उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि रश्मि शुक्ला मामले में आरोपी के रूप में नामजद नहीं है लेकिन उनके खिलाफ जांच के लिए समुचित सामग्री है।
शुक्ला ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि पुलिस विभाग में तबादले और तैनाती में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार पर रिपोर्ट तैयार करने की वजह से उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है और महाराष्ट्र सरकार उन्हें निशाना बना रही है। प्राथमिकी, कथित तौर पर अवैध रूप से फोन टैपिंग करने और कुछ खास गोपनीय दस्तावेज व सूचना लीक करने को लेकर मुंबई के बीकेसी साइबर पुलिस थाने में इस साल मार्च में अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई थी।