shivsena-criticism-on-rahul-gandhi-over-veer-savarkar-controversy-and-slams-bjp-shinde-group

    Loading

    मुंबई: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के दौरन स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर (Veer Savarkar) को लेकर विवादित बयान दिया था। जिसके बाद से महाराष्ट्र (Maharashtra) में राजनीति गरमा गई है। वहीं, अब शिवसेना (Shiv Sena) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को खरी खोटी सुनाई है। वहीं, दूसरी तरफ  भाजपा-शिंदे गुट पर भी निशाना साधा है। शिवसेना (Shiv Sena)  ने कहा कि सावरकर माफी का मुद्दा उठाए जाने से कांग्रेस नेताओं की स्थिति मुश्किल हो गई होगी। राहुल गांधी ने जैसे ही सावरकर की माफी का मुद्दा उठाया, भाजपा ने निषेध करना शुरू कर दिया। लेकिन शिवसेना ने कहा है कि राहुल गांधी बार-बार बीजेपी को यह मौका क्यों देते हैं, यह शोध का विषय है।

    शिवसेना (Shiv Sena)  ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ (Samana) के जरिए स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की माफी पर अपना पक्ष रखते हुए राहुल गांधी को खरी खोटी सुनाते हुए सावरकर के लिए भाजपा-शिंदे गुट प्रेम पर सवाल उठाया है। शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र में ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के पहुंचते ही राहुल गांधी का भव्य स्वागत किया गया। जनता का रिस्पॉन्स भी शानदार रहा। सब कुछ अच्छा चल रहा था, तब राहुल गांधी को सावरकर की कथित माफी के मुद्दे को उठाने की कोई जरूरत नहीं थी।

    राहुल गांधी और उनके बयान का विरोध करने के लिए कई लोग सड़कों पर उतरे। लेकिन, पुणे में इन लोगों की राहुल गांधी को छोड़कर सावरकर की तस्वीर छपी। सावरकर का राहुल गांधी ने अपमान किया और उनकी निंदा की जानी चाहिए, लेकिन विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरने वालों को राहुल और सावरकर के बीच का अंतर नहीं पता था।

    सावरकर (Veer Savarkar) को देश में सशस्त्र क्रांतिकारियों का नेता बताते हुए शिवसेना ने सावरकर के कार्यों का महिमामंडन किया है। वह नासिक जैक्सन हत्याकांड का मुख्य आरोपी था। सावरकर ने ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने के लिए सशस्त्र क्रांतिकारियों को खड़ा करने का काम किया। अंग्रेज़ सावरकर से डरते थे, इसलिए उन्हें पचास साल के लिए काले पानी की सजा दी गई और अंडमान भेज दिया गया। वह इस भारतमाता का इकलौता पुत्र था जिसे इतनी भयानक सजा दी गई थी। सावरकर ने अंडमान में 10 साल तक यातनाएँ झेलीं। इस दौरान शिवसेना ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह पांच बार ब्रिटिश सरकार के पास दया याचिका दायर कर चुकी है और उसे नहीं लगता कि इसमें कुछ गलत है।

    महात्मा गांधी का यह भी मत था कि तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के पास सावरकर द्वारा दया याचिका दायर करने पर कोई आपत्ति नहीं थी। सरकार को निर्णय लेने का अधिकार है। सावरकर ने सरकार को याचिका दी। यह भी उतना ही सच है कि सावरकर की छह दया याचिकाओं को सरकार ने खारिज कर दिया था। हालांकि सावरकर को बाद में नियम और शर्तों पर रिहा कर दिया गया था, लेकिन अंग्रेजों ने उन पर गहरी नज़र रखी। सावरकर आजीविका के लिए सरकार से पेंशन प्राप्त कर रहे थे जो बहुत कम थी। सामना में यह भी कहा गया है कि इस पर अलग से चर्चा की जा सकती है।

    महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन से ब्रिटिश साम्राज्य की नींव जितनी हिली थी, उतनी ही सावरकर जैसे क्रांतिकारियों के संघर्ष से भी उखड़ गई थी। महात्मा गांधी को भी इस बारे में पता था। सावरकर को पचास वर्ष की सजा सुनाए जाने के बाद, “क्या आप तब तक सत्ता में रहेंगे?” बेड़ियों में बंधे सावरकर ऐसा सवाल करते हुए अंडमान की तरफ जाने वाली बोट में चढ़े थे। क्या भरोसा है! ये सब इतिहास में दर्ज है, लेकिन शिवसेना ने एक सांकेतिक बयान दिया है कि हाल ही में हर कोई इतिहास से दुश्मनी करता नजर आ रहा है।

    स्वतंत्रता संग्राम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा का कोई संबंध नहीं था। यूं तो वे सावरकर की विचारधारा के साथ नहीं थे। इन्हीं लोगों ने सावरकर की हिन्दू महासभा में आग लगा दी। इसलिए शिवसेना ने भी कहा है कि सावरकर के नाम पर राजनीति करने का धंधा बंद कर देना चाहिए। 

    ‘सामना’ की प्रस्तावना में कहा गया है कि मिंधे गुट के लोग इसे राहुल गांधी समझकर वीर सावरकर की तस्वीरें सड़कों पर लगाकर उनका अपमान कर रहे हैं। इस तरह अक्ल के दुश्मन शिवसेना को हिंदुत्व और सावरकर के विचार समझाने के लिए निकल पड़े हैं। पिछले आठ साल से केंद्र में बीजेपी की सरकार है, लेकिन जब शिवसेना वीर सावरकर के लिए ‘भारत रत्न’ की मांग कर रही है, तो ये लोग बहरी भूमिका निभाते हैं। यह दिखावा नहीं तो क्या है? शिवसेना ने यह भी कहा कि फडणवीस-मोदी ने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे वीर सावरकर को सम्मान मिले।

    देश में नफरत, समाज में फैल रहे नफरत के जहर, महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दों पर लोगों को जगाने के लिए राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा कन्याकुमारी से शुरू हो गई है। राहुल गांधी रोजाना करीब 15 किलोमीटर पैदल चलते हैं और उनके साथ बड़ी संख्या में लोग चलते हैं। राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा उस छवि के विपरीत है जो भाजपा ने पिछले कुछ वर्षों में बनाई है। भारतीय जनता पार्टी कितना भी ‘नहीं-नहीं’ कहे, उन्हें ‘भारत जोड़ो’ यात्रा का ध्यान रखना होगा। शिवसेना ने इसके पीछे राहुल गांधी की मेहनत और प्रयास की तारीफ की। हालांकि, वहीं शिवसेना ने राहुल गांधी को खरी खोटी सुनाई है। अचानक वीर सावरकर के नाम से उनका मन अस्थिर हो जाता है और उनकी हर बात पर पानी फिर जाता है। ऐसा क्यों होना चाहिए? उसने वह प्रश्न पूछा। महाराष्ट्र में आकर और सावरकर के कथित माफ़ी मामले को तूल देकर राज्य में कांग्रेस नेताओं की स्थिति मुश्किल हो गई होगी। महाराष्ट्र वीर सावरकर का सम्मान करता है। शिवसेना ने साफ कर दिया है कि वह उनकी बहादुरी का सम्मान करती है और आगे भी करती रहेगी।