जुड़वा बहनों से शादी करने पर दूल्हे के खिलाफ दर्ज हुआ केस, जानें शादियों पर क्या है कानून?

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    मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के सोलापुर में शादी का (Solapur viral marriage) एक अनोखा केस सामने आया है। यहां, दो जुड़वा बहनों ने एक ही लड़के से शादी की है। सबसे ज़्यादा हैरानी की बात ये है कि, ये शादी परिवार वालों की रजामंदी और मौजूदगी से बड़े धूमधाम से हुई। इस शादी का वीडियो भी सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल हुआ। हालांकि, इस मामले पर अब पुलिस ने केस भी दर्ज कर लिया है।

    एक लड़के की दो जुड़वा बहनों से शादी शुक्रवार 2 दिसंबर को हुई। दूल्हा और दुलहनों के परिवार वाले इस शादी से राजी थे। जानकारी के अनुसार, जुड़वा बहनें पिंकी और रिंकी दोनों आईटी इंजीनियर हैं और मुंबई में रहती हैं। घाल ही में इनके पिता का निधन हुआ था। जिसके बाद दोनों अपनी मां के साथ ही रहने लगी थीं। पिंकी और रिंकी ने अतुल नाम के युवक से शादी की है।

    हालांकि, इस मामले में अकलज पुलिस थाने में दूल्हे के खिलाफ केस दर्ज किया है। ये केस आईपीसी की धारा 494 के तहत दर्ज हुआ है। दोनों परिवार की रजामंदी के बाद भी यह केस दर्ज क्यों हुआ? ये समझने से पहले जानते हैं शादियों को लेकर कानून क्या कहता है?

    क्या है कानून?

    • भारत में शादियों और तलाक के मामलों में धर्मों के हिसाब से अलग-अलग कानून है। जैसे- हिंदुओं की शादी के लिए हिंदू मैरिज एक्ट और मुस्लिमों की शादी के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ। हिंदुओं के अलावा हिंदू मैरिज एक्ट ही सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों पर भी लागू होता है। 
    • 1955 के हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 5 में उन शर्तों के बारे में जानकारी दी गई है कि, किन शादी को वैलिड मानी जाएगी। पहली शर्त तो यही है कि शादी के समय दूल्हा और दुल्हन की पति या पत्नी जीवित नहीं होनी चाहिए। 
    • लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए। हिंदू मैरिज एक्ट के तहत, शादी के लिए दूल्हा और दुल्हन, दोनों की रजामंदी होनी चाहिए।  
    • हिंदू धर्म में पहले पति या पत्नी की जीवित रहते दूसरे शादी नहीं की जा सकती। दूसरी शादी तभी होगी जब पहले पति या पत्नी की मौत हो चुकी हो या फिर अगर 7 साल तक पति या पत्नी का कुछ पता न हो। साथ ही उसके जीवित रहने का कोई सबूत न हो, तो ऐसे में भी दूसरी शादी की जा सकती है। 
    • हिंदुओं की तरह ही ईसाई धर्म में भी दूसरी शादी की मनाही है। ईसाई दूसरी शादी तभी कर सकते हैं, जब पति या पत्नी की मौत हो चुकी हो। मुस्लिमों को चार शादी करने की इजाजत है। 
    • वहीं एक स्पेशल मैरिज एक्ट भी है, जो 1954 में लागू हुआ था। जिसमें दो अलग-अलग धर्मों के वयस्कों को शादी करने का अधिकार देता है। स्पेशल मैरिज एक्ट सभी पर लागू होता है। इसके तहत शादी रजिस्टर्ड कराने के लिए धर्म बदलने की आवश्यकता नहीं होती।

    जुड़वां बहनों से शादी करने पर दूल्हे पर केस दर्ज क्यों हुआ? 

    • सोलापुर में दो जुड़वा बहनों से शादी करने पर दूल्हे अतुल पर केस दर्ज हुआ है। ये केस इसलिए दर्ज हुआ क्योंकि उसने दो शादियां की है। जबकि हिंदुओं में केवल एक ही शादी की जा सकती है। 
    • उस पर आईपीसी की धारा 494 के तहत केस दर्ज किया गया है। ये धारा कहती है कि अगर पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करते हैं तो ऐसी स्थिति में ये शादी अमान्य है। ऐसा करने पर 7 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों को सजा हो सकती है।
    • इस धारा में अपवाद भी है और वो ये कि अगर पहली शादी को अदालत अमान्य करार दे चुकी है तो फिर दूसरी शादी की जा सकती है। 
    • कुल मिलाकर, हिंदू मैरिज एक्ट के दायरे में आने वाले लोग दूसरी शादी तभी कर सकते हैं, जब उनकी पहली पत्नी या पति की मौत हो चुकी हो या फिर तलाक हो गया हो।