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    -राजीत यादव

    नवी मुंबई: मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे (Mumbai-Pune Expressway) पर हादसा (Accidents) होने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, जिसकी वजह से यह एक्सप्रेस-वे (Expressway) मौत का मार्ग बन गया है। इस मार्ग पर होने वाले हादसे में घायल होने वाले लोगों को तत्काल उपचार सेवा मुहैया कराने के लिए इस मार्ग के पास कोई व्यवस्था विगत 20 वर्ष के दौरान राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई है, जिसकी वजह से घायलों को पुणे या पनवेल की अस्पतालों में ले जाना पड़ता है। जिसके लिए समय लगता है। इस वजह से कई बार अस्पताल पहुंचने से पहले ही घायल व्यक्ति दम तोड़ देता है। विगत 55 माह 20 दिन में इस मार्ग पर कुल 1198 छोटे-बड़े हादसे हुए हैं, जिसमें 374 लोगों की मौत हो चुकी है।

    गौरतलब है कि मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य वर्ष 1997 में भाजपा-शिवसेना की युति सरकार द्वारा शुरू कराया गया था। वर्ष 2002 में कांग्रेस और एनसीपी की सरकार ने इस मार्ग को वाहनों के लिए खुला किया था। इस एक्सप्रेस-वे पर हल्की वाहनों के लिए प्रति घंटा रफ्तार की सीमा 100 किलोमीटर और भारी वाहनों के लिए 80 किलोमीटर निर्धारित की गई थी। 

    हर दिन 22 हजार वाहनों का आवागमन 

    94.5 किमी लंबे इस एक्सप्रेस-वे से मुंबई-पुणे के अलावा सातारा, कोल्हापुर, बेंगलूरू और कोंकण के बीच हर दिन लगभग 22 हजार वाहनों का आवागमन होता है, लेकिन इस मार्ग से गुजरने के दौरान वाहन चालकों द्वारा वाहन की निर्धारित रफ्तार के नियमों को तोड़ा जाता है। जिसकी वजह से कई बार इस मार्ग पर भीषण हादसे होते है।

    खालापुर से लोनावाला के बीच होते हैं सबसे अधिक हादसे

    मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे पहाड़ियों के बीच से गुजरता है। इस मार्ग पर खालापुर से लोनावाला के बीच घाट का इलाका आता है, जिसकी वजह से सड़क घुमावदार और चढ़ावदार है। इसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा हादसे होते है। इस मार्ग पर सबसे ज्यादा खतरनाक क्षेत्र बोरघाट का इलाका है। सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं। इस एक्सप्रेस-वे पर मराठी फिल्मों और रंगमंच की कलाकार भक्ति वर्वे, विहंग नायक, आनंद अयंकर,अक्षय पेंडसे की जान जा चुकी है। वहीं नवी मुंबई महानगरपालिका के डॉ. वैभव झुंजार के साथ उनका पत्नी वैशाली झुंजार, मां उषा झुंजार और बेटी श्रिया झुंजार की जान गई थी। इस मार्ग पर फिल्म अभिनेत्री मलाइका अरोरा और कांग्रेस के विधायक संग्राम जगताप बाल-बाल बचे थे।

    तलेगांव के पास बनाया गया था ट्रामा सेंटर

    खालापुर और लोनावाला में घायलों के उपचार के लिए कोई अस्पताल या ट्रामा सेंटर नहीं बनाया गया है। जिसकी वजह से घायलों को पनवेल या पुणे की अस्पतालों में ले जाना पड़ता है। वर्ष 2019 में पुणे के तलेगांव टोल नाका के पास राज्य के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री और मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एक ट्रामा सेंटर का उद्घाटन किया था, लेकिन कैग की आपत्ति के बाद यह ट्रामा सेंटर अधर में लटक गया। इस मार्ग पर खालापुर टोल नाका और लोनावाला में अत्याधुनिक अस्पताल अथवा ट्रामा सेंटर बनाने की जरूरत बताई गई थी, इसके साथ ही इस मार्ग पर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस एम्बूलेंस और डॉक्टर की टीम उपलब्ध कराने की जरूरत है, लेकिन इन दोनों की ओर राज्य सरकार द्वारा गंभीरता से विचार नहीं किया गया है।

    54% हादसे मध्य रात्रि से सुबह 9 बजे के बीच हुए

    पनवेल स्थित पलस्पे में हाइवे पुलिस की चौकी है। जो मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे पर खालापुर तक नजर रखती है। 30 किलोमीटर के इस क्षेत्र में सीसीटीवी लगाए गए हैं। वाहन चालकों के लिए सूचना फलक लगाए गए हैं। चौकी से मिली जानकारी के अनुसार वाहन चालकों द्वारा नियमों का उल्लंघन करने की वजह से इस मार्ग लगभग 54 प्रतिशत हादसे होते हैं। इस मार्ग पर अधिकांश हादसे मध्य रात्रि से लेकर सुबह 9 बजे के दौरान होते है। यह हादसे वाहन चालक द्वारा लेन कटिंग करने, सड़क पर वाहन को अचानक रोकने या खड़ी करने की वजह से होते है। इसके अलावा कई बार वाहन चालक को नींद आने से भी उसकी वाहन दूसरी वाहन से टकरा जाती है। इस तरह के हादसों को टालने के लिए वाहन चालकों में लगातार जनजागृति करने का काम किया जा रहा है, परिणाम स्वरुप विगत कुछ वर्ष के दौरान इस मार्ग पर होने वाले हादसों में कमी आई है।

    हादसों का लेखा जोखा

    वर्ष      कुल हादसे  कुल मौत
    2018     359       114
    2019    353      92
    2020  161 66      
    2021 200       88
    2022 (अब तक) 125   14