Mobile return Protest of Anganwadi workers
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    ठाणे. कोरोना महामारी (Corona Pandemic) में शहरी और ग्रामीण स्वास्थ्य के बीच एक कड़ी का काम करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता (Anganwadi Workers) वर्तमान में सरकार की उदासीनता के कारण कई समस्याओं का सामना कर रही हैं।  महाराष्ट्र राज्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ (Maharashtra State Anganwadi Workers Association) ने बार-बार मांग की है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अच्छा मोबाइल और मराठी पोषण ट्रैकर एप प्रदान किया जाए। इसके साथ ही उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा, वेतन में उचित वृद्धि, पेंशन योजना का कार्यान्वयन और आंगनबाड़ी के लिए पूरक पोषण को दोगुना किए जाने जैसी मांगे शामिल है। हालांकि सरकार से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को महज आश्वासन का तमगा ही मिलते आ रहा है। नतीजतन कम वेतन और अपर्याप्त संसाधनों में काम करने के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 

    ठाणे जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 3,395 आंगनवाड़ी केंद्र हैं, जिसमें करीब साढ़े तीन हजार आंगनवाड़ी सेविका और करीब साढ़े तीन हजार सहायक कार्यरत हैं।   आंगनबाडी कार्यकर्ता तीन से छह साल के आयु वर्ग के बच्चों को शिक्षित करती हैं और उन्हें स्वस्थ बनाने के लिए उनके स्वास्थ्य और उचित पोषण का ध्यान रखती हैं।  हालांकि पिछले कुछ वर्षों में उनकी समस्याएं कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही हैं।  सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता दिन के 12 घंटों में से 10 घंटे तक काम करती हैं।  आंगनबाड़ी सेविकाओं के कामों की फेहरिस्त में गांवों में शिशुओं से लेकर छह साल तक के बच्चों का टीकाकरण, गर्भवती माताओं का टीकाकरण, स्तनपान कराने वाली माताओं और शिशुओं को पौष्टिक भोजन की व्यवस्था, घर घर का दौरा, स्वास्थ्य सर्वेक्षण, किशोरियों के लिए उपक्रम आदि शामिल हैं।  इसके अलावा जन जागरूकता कार्यक्रमों में आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को काम पर लगाए जाने का विचार किया जाता है।  वे अपने स्वास्थ्य और घर की उपेक्षा करते हुए गांव के स्वास्थ्य को बनाए रखने की कोशिश करती हैं।  इन सबके बाद भी सरकार आंगनवाड़ी सेविकाओं की परेशानी को समझने को तैयार नहीं है। 

    घटिया दर्जे की दी गई है मोबाइल

    तीन वर्ष पूर्व आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को पोषण कार्यक्रम के तहत मोबाइल दिया गया।  इस मोबाइल की एक्सपायरी साल 2021 में हो चुकी है।  ऐसे में आंगनबाडी कार्यकर्ताओं से दो जीबी रैम वाले इस मोबाइल की मरम्मत का खर्च वसूल किया जा रहा है।  कहा जा रहा है कि मरम्मत में दो से तीन हजार रुपये का खर्च आ रहा है, क्योंकि उपलब्ध कराई गई मोबाइल घटिया गुणवत्ता के हैं।  हालांकि यह लागत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता वहन नहीं कर सकती हैं, ऐसे में कईयों ने सरकार द्वारा दिए गए मोबाइल को लौटा दिया है। 

    आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर चलती है अधिकारियों की गुंडागर्दी

    स्तनपान कराने वाली माताओं, गर्भवती माताओं और बच्चों की जानकारी अद्यतन रखने के लिए सरकार द्वारा आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को स्मार्ट फोन दिए गए।  इसके माध्यम से यह सारी जानकारी न्यूट्रिशन ट्रैकर एप में भरनी है।  हालांकि फिलहाल न्यूट्रिशन ट्रैकर एप पर बच्चों और महिलाओं के नाम अंग्रेजी में होने के कारण जानकारी भरने में दिक्कत हो रही है।  इसलिए आंगनबाडी कार्यकर्ता बार-बार मांग कर रही हैं कि पोषण ट्रैकर एप मराठी में उपलब्ध कराया जाए। महाराष्ट्र राज्य आंगनवाड़ी कर्मचारी कार्य समिति के बृजपाल सिंह ने आरोप लगाया कि पोषण ट्रैकर पर जानकारी नहीं भरने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ गुंडई करते हुए अधिकारी कह रहे हैं कि उन्हें मानदेय नहीं देंगे।