अंबरनाथ: आज नदियों (Rivers) की हालात दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। नदियों पर अतिक्रमण (Encroachment) और प्रदूषण (Pollution) काफी बढ़ रहा है। इसलिए हमें नदियों के प्रति जागरुकता (Awareness) बढ़ानी होगी। मुझे यह देखकर बड़ा दुःख हो रहा है कि वालधुनी नदी (Waldhuni River) में लोगों द्वारा मल मूत्र बहाया जाता है। जिससे नदी नाला (Nala) बन गई है। यह कहना है जलपुरुष के नाम से जाने वाले डॉ. राजेंद्र सिंह (Dr. Rajendra Singh) का।
विरासत स्वराज यात्रा के माध्यम से जलपुरुष राजेंद्र सिंह कोंकण विभाग मुंबई और ठाणे जिले की नदियों को समझने और समझकर इन नदियों पर कार्य करने के लिए अध्ययन कर रहे हैं। अपने मिशन के अधीन यह यात्रा तीन दिन पहले वालधुनी नदी के तट पहुंची और 11वीं सदी में नदी के तट पर बने प्राचीन शिव मंदिर में यात्रा में शामिल सभी लोगों ने दर्शन किए। यहां जलपुरुष राजेंद्र सिंह का अंबरनाथ नगरपालिका अधिकारी कर्मचारियों और नदी प्रेमियों कार्यकर्ताओं द्वारा जोरदार स्वागत किया गया।
नदी को मां मानकर देखभाल करें
इसके उपरांत यात्रा उल्हासनगर में वालधुनी नदी पर पहुंचने पर सेक्रेड हार्ट स्कूल के बच्चे और वेदांत कॉलेज के शिक्षक मौजूद थे। इन सभी से जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने लंबी वार्ता की। यहां राजेंद्र सिंह ने बच्चों से कहा कि वह नदी को मां मानकर देखभाल करें। हमारा जीवन नदियों के साथ जुड़ा है। जहां जैवविविधता हैं, वहां पानी के स्रोत हैं, वहीं जीवन होता है।
महाराष्ट्र में जल साक्षरता सम्मेलन आयोजित हो
वहीं, उन्होंने उल्हास नदी की स्थिति और नदी के किनारे कंपनियों द्वारा हो रहे प्रदूषण को भी करीब से देखा। स्थानीय लोगों से बातचीत करते हुए डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि महाराष्ट्र में एक जल साक्षरता सम्मेलन आयोजित कराया जाना चाहिए।