तलोजा एमआईडीसी की कंपनियां छोड़ रही रसायन युक्त पानी, प्रदूषण की जाल में फंसी कसाडी नदी

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    -राजीत यादव

    नवी मुंबई: तलोजा एमआईडीसी (Taloja MIDC) से होकर बहने वाली कसाडी नदी (Kasadi River) के कटाव किसी का ध्यान नहीं जाता है। नवाड़ा क्षेत्र के गांवों की जीवन रेखा के रूप में जानी जाने वाली कसाडी नदी में तलोजा एमआईडीसी की कंपनियों का रसायन युक्त पानी (Chemical Water) छोड़ा जाता है, जिसकी वजह से विगत कई वर्षों से यह नदी प्रदूषण की जाल में फंसी हुई है। कंपनियों (Companies) से आने वाले दूषित पानी की वजह से इस नदी में अक्सर रासायनिक अपशिष्टों में झाग फैला हुआ पाया गया है। इस नदी को प्रदूषण मुक्त करने के प्रशासन के सभी प्रयास विफल होते नजर आ रहे हैं।

    गौरतलब है कि तलोजा एमआईडीसी 900 हेक्टेयर में फैली हुई है, जिस पर 950 से अधिक छोटी-बड़ी कंपनियां हैं, जिसमें रसायन बनाने वाली कंपनियों का भी समावेश है। हाजी मलंग की पहाड़ियों से निकलने वाली कसाडी नदी इस एमआईडीसी से होकर बहती है। इस नदी के आसपास कई गांव हैं, जिसमें रहने वाले लोग पहले इस नदी के पानी का उपयोग किया करते थे, लेकिन जब से इस नदी में कंपनियों का दूषित पानी छोड़ा जाने लगा है, तब से यहां के गांव वालों ने इस नदी के पानी का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है।

    नदी को बचाने के लिए नगरसेवक अरविंद म्हात्रे ने जोरदार तरीके से उठाया मुद्दा

    गौरतलब है कि विगत कुछ वर्ष से कसाडी नदी के प्रदूषण का मुद्दा स्थानीय नगरसेवक अरविंद म्हात्रे ने जोरदार तरीके से उठाया है। इस नदी को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण से गुहार लगाई थी, जिसे गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने तलोजा एमआईडीसी और कंपनियों पर अब तक 15 करोड़ रुपए का दंड लगाया है और यह राशि कसाडी नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए खर्च करने का निर्देश रायगढ़ के जिलाधिकारी को दिया हैं, जिसकी प्रक्रिया जिलाधिकारी द्वारा शुरू की गई है, लेकिन काम अभी तक नहीं शुरू हो पाया है।

    महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल कार्रवाई करने में जुटा

    कसाडी नदी में प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों के खिलाफ अब महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा कठोर कार्रवाई की जा रही है। इस नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए यहां पर रहने वाला योगेश पगड़े नामक युवक भी जुटा हुआ है, यह युवक अपनी नौका लेकर नदी में घूमते रहता है और नदी में नजर आने वाले कचरे को निकालने का काम करते रहता है। पगड़े के अनुसार, कसाडी नदी में कुछ लोग तलोजा एमआईडीसी और अन्य क्षेत्रों के रासायनिक अपशिष्टों को टैंकरों के माध्यम से रात-विरात नदी में छोड़े है। इसकी वजह से भी यह नदी प्रदूषित हो रही है।

    गाढ़ी नदी में जलकुंभी का राज

    पनवेल तहसील के क्षेत्र से कसाडी नदी के अलावा गाढ़ी नदी बहती है, जिसमें कुछ किलोमीटर तक खड्ड के तंग होने के कारण नदी के पानी पर जलकुंभी का कालीन बिछाए जाने की तस्वीर नजर आती है। इस जलकुंभी को हटाने के लिए किसी भी सरकारी प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। गाढ़ी नदी के तट पर पनवेल शहर स्थित है। गाढ़ी नदी पनवेल तहसील के पूर्वी हिस्से में स्थित पहाड़ियों से निकलती है। इसके तट पर शहर बसाए जाने की वजह से इसमें छोटे-बड़े नाले के माध्यम से गंदा पानी छोड़ा जाता है, जिसके चलते यह नदी भी प्रदूषण से अछूता नहीं है। 2 वर्ष पहले जल विशेषज्ञ राजेंद्र सिंह ने पनवेल का दौरा किया था और युवाओं से नदियों के संरक्षण के लिए पहल करने की अपील की थी। उसके बाद बीजेपी विधायक प्रशांत ठाकुर ने भी पहल की थी। अब यह अभियान फिर ठंडा पड़ गया।