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    अंबरनाथ : गरीबी (Poverty) और बेरोजगारी (Unemployment) के कारण एक दंपत्ति (Couple) द्वारा अपनी 2 महीने की अबोध बालिका (Girl Child) का सौदा (Deal) किए जाने का मामला (Case) प्रकाश में आया है। जिस व्यक्ति ने यह निर्णय लिया वह अंबरनाथ शहर में रिक्शा चलाने का काम करता है। जिला महिला और बाल विकास विभाग के हस्तक्षेप के बाद स्थानीय पुलिस ने बच्चे के माता पिता सहित कुल 5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

    आरोपी शहर के पश्चिम विभाग स्थित शिवनगर का रहने वाला है। दो महीने पहले तीसरी लड़की पैदा होने से उक्त दंपत्ति दुखी रहने लगे थे कि इन लड़कियों की पढ़ाई, शादी का खर्च वह कैसा पूरा कर सकेंगे। किसी के माध्यम से इस बच्ची के पिता का संपर्क नालासोपारा में रहने वाले एक दंपत्ति से हुआ और 100 रुपए के स्टैम्प पेपर पर लिखा पढ़ी कर बच्ची को उन्हें सुपुर्द कर दिया। अंबरनाथ स्थित बाल संरक्षण समिति के किसी सदस्य के माध्यम से बच्चा बेचे जाने की सूचना जिला महिला और बालविकास अधिकारी कार्यालय को प्राप्त हुई।

    जिला महिला और बालविकास अधिकारी महेंद्र गायकवाड के आदेश पर जिला बाल संरक्षण कक्ष की पल्लवी जाधव और वन स्टॉप सेंटर की सिद्धी तेलंगे बिना समय गंवाए अंबरनाथ पुलिस थाने पहुंची। पल्लवी जाधव ने स्थानीय पत्राकारों को बताया कि समिति के आदेशानुसार बच्ची की देखरेख के लिए उसे ‘जननी आशिष’ नामक विशेष दत्तक संस्था को सुपुर्द किया गया है। समिति में पिछले दस महीने में इस तरह बच्चे को बेचने की यह 9वीं  घटना है।

    बच्चों को गोद लेने का कानून में प्रावधान है बशर्ते प्रक्रिया को नियमानुसार करना चाहिए। केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) के माध्यम से देशभर में बच्चे गोद लिए जाते है। यदि परिवार में कोई बच्चे को गोद लेना होता है तो उसको अदालत जाना पड़ता है। सरकार द्वारा निर्धारित किए गए कानून का उल्लंघन करना एक अपराध है।

    - महेंद्र गायकवाड, जिला महिला और बाल विकास अधिकारी, ठाणे