Corporator Rajendra Choudhary

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    उल्हासनगर. उल्हासनगर (Ulhasnagar) में अक्टूबर 2017 के दौरान अवैध निर्माण (Illegal Construction) को लेकर उल्हासनगर महानगरपालिका (Ulhasnagar Municipal Corporation) के तत्कालीन कमिश्नर राजेंद्र निंबालकर (Commissioner Rajendra Nimbalkar) और शिवसेना नगरसेवक राजेंद्र चौधरी (Shiv Sena Corporator Rajendra Choudhary) आमने-सामने आ गए थे। आरोप-प्रत्यारोप ने तब काफी तूल पकडा था। तब तत्कालीन कमिश्नर ने अवैध निर्माण को संरक्षण देने के मामले में 2 प्रभाग अधिकारियों को निलंबित भी कर दिया था।

    महानगरपालिका अधिकारियों पर कार्रवाई के साथ ही कमिश्नर ने शिवसेना शहर प्रमुख और शिवसेना के नगरसेवक राजेंद्र चौधरी को बीपीएमसी ऐक्ट 10 (ड) के तहत नोटिस जारी की थी और नगरसेवक से 7 दिन के भीतर जवाब मांगा था। नोटिस में लिखा था कि यदि वह महानगरपालिका की नोटिस का जवाब नहीं देते है तो उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। राजेंद्र चौधरी द्वारा जो जवाब दिया गया उसको लेकर कमिश्नर ने उक्त विषय को न्यायालय में चुनौती दी। कमिश्नर ने अदालत को लिखित रूप से बताया था कि नगरसेवक चौधरी ने काफी हंगामा किया और वह अवैध निर्माणों को राजेंद्र चौधरी संरक्षण दे रहे है ऐसा तर्क कोर्ट के सामने कमिश्नर द्वारा रखा गया।

    चार साल तक चली कानूनी लड़ाई

    आखिरकार 4 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 29 सितंबर 2021 को नागपुर महानगरपालिका का हवाला देते हुए कोर्ट ने यह कहते हुए महानगरपालिका कमिश्नर की चौधरी के सदस्यता रद्द करने की मांग खारिज कर दी कि बीपीएमसी एक्ट 10 (ड) के तहत नोटिस देने से पहले उक्त विषय को महानगरपालिका सदन में रखना अनिवार्य होता है। वह हुआ नहीं है इसलिए उनकी अपील खरिज की जाती है।

    सच्चाई की जीत हुई है: राजेंद्र चौधरी 

    महानगरपालिका के वरिष्ठ नगरसेवक और शिवसेना के शहर प्रमुख राजेंद्र चौधरी ने अपनी जीत पर कहा कि गरीबों को मदद करना और जुल्म को रोकना कोई नियम तोड़ना नहीं होता है। उन्होंने कहा कि महानगरपालिका कमिश्नर ने द्वेष के तहत मेरी सदस्यता को रद्द करने की कोशिश की थी, लेकिन कोर्ट ने सच का साथ दिया है।