Supreme Court Justice Abhay Oak

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    भिवंडी: जल्द न्याय (Justice) मिलने के लिए न्यायालय की संख्या बढ़ाने पर जोर देते हुए सुप्रीम कोर्ट जस्टिस अभय ओक (Supreme Court Justice Abhay Oak) ने कहा कि न्यायालय (Court) की संख्या कम होने से मामलों के निपटान में देरी होती है। लोगों को काफी समय तक न्याय के लिए इंतजार करना पड़ता है। मामलों के शीघ्र निपटारा और जल्द न्याय मिलने के लिए सरकार को न्यायालय की संख्या बढ़ाए जाने पर ध्यान देना चाहिए। उक्त उद्गार व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट जस्टिस अभय ओक ने भिवंडी दीवानी न्यायालय परिसर में भिवंडी दीवानी न्यायाधीश और न्याय दंडाधिकारी, प्रथम वर्ग के लिए 33 करोड़ रुपए की लागत से 16 कोर्ट रूम की 3 मंजिला नवीन इमारत का उद्घाटन किया गया। 

    हाईकोर्ट न्यायाधीश गौरी गोडसे की अध्यक्षता में संपन्न उद्घाटन कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि केंद्रीय पंचायती राज्य मंत्री कपिल पाटिल, महाराष्ट्र कैबिनेट सार्वजनिक बांधकाम मंत्री रविंद्र चव्हाण, सम्मानीय अतिथि हाई कोर्ट न्यायमूर्ति माधव जामदार, न्यायमूर्ति शर्मिला देखमुख, ठाणे जिला सत्र मुख्य न्यायाधीश अभय मंत्री, बीजेपी विधायक महेश चौगुले,भिवंडी न्यायालय न्यायाधीश शहजाद परवेज, महाराष्ट्र गोवा बार  एसोसिएशन अध्यक्ष मिलिंद थोबडे,बार कोन्सिल ऑफ इंडिया सदस्य जयंत जायभाने, वरिष्ठ सल्लाहकार गजानन चव्हाण और भिवंडी बार एसोसिएशन अध्यक्ष मंजीत राउत उपस्थित थे। उद्घाटन कार्यक्रम में भिवंडी बार एसोसिएशन प्रेसीडेंट एड. मंजीत राउत, सीनियर एडवोकेट प्रमोद पाटिल, एड. नाना अय्यर, एड. बोरकर, एड. हर्षल पाटिल, एड. वैभव भोईर, एड. आर. आर. त्रिपाठी, एड. किरण चेन्ने, एड. बाकी अंसारी सहित भारी संख्या में भिवंडी बार एसोसिएशन के पदाधिकारी, सदस्य और शहर के नागरिक मौजूद थे।

    सरकार फंड देने में देरी ना करें

    गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश अभय ओक द्वारा भिवंडी दीवानी और फौजदारी न्यायालय की 3 मंजिला इमारत का उद्घाटन किया गया। सुप्रीम कोर्ट जज ओक ने अपने संबोधन में सरकार से न्यायालयों की संख्या बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि सरकार को न्यायालय व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक फंड देने में विलंब नहीं करना चाहिए। देश में न्यायालयों की संख्या कम होने की वजह से मामले प्रलंबित रहते हैं जिसकी वजह से मामलों का निपटारा समय से न होने से लोगों को न्याय मिलने में काफी देरी होती है। 

    चार साल में पूर्ण हुआ इमारत का काम

    गौरतलब है कि मुंबई हाईकोर्ट तत्कालीन जस्टिस और वर्तमान  सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश अभय ओक ने न्याय में बिलंब और प्रलंबित मुकदमों की संख्या को बेहद गंभीरता से लेते हुए 2018 में भिवंडी दीवानी कोर्ट परिसर में 3 मंजिला इमारत निर्माण किए जाने का आदेश बीजेपी की तत्कालीन देवेंद्र फडणवीस  सरकार को दिया था। टेंडर निर्माण की शर्तों में नई इमारत निर्माण की समय सीमा 2 साल मुकर्रर किया था। कोरोना संकटकाल के कारण कोर्ट इमारत निर्माण का कार्य करीब 2 वर्ष विलंब से हो सका है। 2018 में क्लासिक एसोसिएट द्वारा शुरू निर्माण कार्य करीब 4 साल में पूर्ण हुआ है। कोर्ट की नवीन इमारत स्थित 16 कोर्ट रूम में 16 जज न्यायायिक कामकाज आसानी से कर सकेंगे। भिवंडी में कोर्ट की नई 3 मंजिला इमारत निर्माण होने से लंबित मामलों के जल्द निपटारा होने के आसार प्रबल हो गए हैं। 

    एडीजी, सीनियर डिवीजन बेंच की मांग भी करें पूर्ण

    2012 में भिवंडी दीवानी कोर्ट के सभी वकीलों द्वारा प्रलम्बित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए आंदोलन कर चीफ जस्टिस से एडीजी, सीनियर डिवीजन बेंच की मांग की गई थी। वकीलों के आंदोलन के उपरांत हाईकोर्ट ने भिवंडी कोर्ट में जगह की कमी का हवाला दिया था। 2012 में हाईकोर्ट की एडमिनिस्ट्रेटिव कमेटी ने आर्डर पास कर कहा था कि जगह की उपलब्धता होने पर एडीजी और सीनियर डिवीजन बेंच शुरू की जाएगी। नई इमारत निर्माण से एडीजी और सीनियर डिविजन बेंच की मांग साकार होने के आसार प्रबल हो गए हैं।

    कोर्ट में पर्याप्त जगह उपलब्ध हो गई: एड. हर्षल पाटिल 

    उक्त संदर्भ में भिवंडी बार एसोसिएशन पूर्व प्रेसीडेंट एडवोकेट हर्षल पाटिल ने कहा कि कोर्ट की तीन मंजिला नई इमारत अस्तित्व में आने से कोर्ट में पर्याप्त जगह उपलब्ध हो गई है जिससे एडीजी, सीनियर डिवीजन बेंच आसानी से शुरू की जा सकती है। भिवंडी सहित दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों जव्हार, विक्रमगड़, वाड़ा, मोखाड़ा, शाहपुर आदि सुदूर जगहों से आने पीड़ित लोगों को करीब 50-70 किमी की दूरी तय कर ठाणे सिविल कोर्ट जाना पड़ता है जिससे समय की बर्बादी के साथ ही आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। भिवंडी दीवानी कोर्ट में एडीजी, सीनियर बेंच शुरू होने से भिवंडी कोर्ट में ही न्याय मिल सकेगा। भिवंडी वकील संघटना पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट हर्षल पाटिल ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से पीड़ितों को जल्द न्याय के लिए भिवंडी दीवानी कोर्ट में एडीजी और सीनियर डिवीजन बेंच की मंजूरी अविलंब देने की मांग की है।