बिजली चोरी का आधा भुगतान होने पर ही बिजली आपूर्ति बहाल, जिला न्यायाधीश ने दिया आदेश

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    उल्हासनगर : बिजली चोरी (Electricity Theft) के भुगतान को चुनौती देने वाली एक याचिका (Petition) के तहत वसई (Vasai) की अतिरिक्त सत्र (Additional Sessions)और विशेष अदालत (Special Court) ने हाल ही में डायमंड आइस फैक्ट्री की आंशिक राशि का भुगतान कर बिजली आपूर्ति बहाल करने की मांग वाली अर्जी खारिज कर दी है। जिला न्यायाधीश सुधीर देशपांडे ने 4 करोड़ 93 लाख 98 हजार 460 रुपए की राशि में से आधी राशि का भुगतान करने पर 48 घंटे के भीतर बिजली आपूर्ति बहाल करने का आदेश महावितरण को दिया है।

    वसई मंडल के अधीक्षक अभियंता राजेश सिंह चव्हाण के नेतृत्व में एक टीम ने 30 अक्टूबर, 2021 को वसई तालुका के माजीवली में डायमंड आइस फैक्ट्री नामक एक उच्च वोल्टेज बिजली ग्राहक से बिजली की चोरी का खुलासा किया था। जांच में पाया गया था कि फैक्ट्री में रिमोट कंट्रोल सर्किट लगाकर 59 माह में 4 करोड़ 93 लाख 98 हजार 460 रुपए मूल्य की 27 लाख 48 हजार 364 यूनिट बिजली की चोरी की गई है।

    3 नवंबर को विरार पूर्व थाने में फैक्ट्री संचालक के खिलाफ बिजली चोरी का भुगतान नहीं करने का मामला दर्ज होने के बाद बिजली आपूर्ति काट दी गयी थी। इस पर डायमंड आइस फैक्ट्री ने बिजली चोरी के भुगतान को वसई अतिरिक्त सत्र एवं विशेष न्यायालय में चुनौती दी और सुनवाई में देरी होने के कारण 8 लाख 54 हजार 860 रुपए  भरकर बिजली आपूर्ति पूर्ववत करने की मांग की। मामले की सुनवाई जिला न्यायाधीश सुधीर देशपांडे के समक्ष हुई। महावितरण की ओर से अधिवक्ता अर्चना पाटिल और विधि अधिकारी राजीव वामन ने सुप्रीम और हाई कोर्ट के विभिन्न बिंदुओं का हवाला देते हुए जिरह की और याचिकाकर्ता की बातों का खंडन किया।

    महावितरण द्वारा दिए गए तर्क को ध्यान में रखते हुए जिला न्यायाधीश सुधीर देशपांडे ने अंशतः राशि का भुगतान कर बिजली आपूर्ति बहाल करने के आवेदन को खारिज कर दिया और बिजली चोरी के आधे भुगतान यानी 2 करोड़ 46 लाख 99 हजार 230 रुपए का भुगतान करने के बाद अगले 48 घंटों के भीतर बिजली आपूर्ति को फिर से जोड़ने का आदेश महावितरण को दिया।