rajendra singh

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    कल्याण: कल्याण खाड़ी के साथ उल्हास नदी (Ulhas River) और वालधुनी नदी (Valdhuni River) अंतिम दिनों की गिनती कर रही हैं। देश के वाटरमैन कहे जाने वाले मैग्सेसे पुरस्कार (Magsaysay Award) विजेता राजेंद्र सिंह (Rajendra Singh) ने इन नदियों (Rivers) को नालों (Drains) में बदलने की कोशिश के लिए सरकार की आलोचना की। राजेंद्र सिंह ने कल्याण खाडी के नागरिकों और छात्रों के साथ उल्हास और वालधुनी नदियों की स्थिति का निरीक्षण किया।

    कल्याण, उल्हासनगर, अंबरनाथ, बदलापुर में नदियों का निरीक्षण किया जो बारवी और कर्जत से निकलती हैं। नदियों को देखकर राजेंद्र सिंह ने कहा कि हम उन्हें नदियां नहीं कह सकते। राजेंद्र सिंह ने अफसोस जताया कि यह गंदे नाले की तरह दिखता है। साथ ही अगर यहां के लोगों को जानकारी नहीं होती तो सरकारी विभाग आज इन नदियों के नालों को रिकॉर्ड कर लेती। हमारी सरकार इन नदियों को नाला बनाने की कोशिश कर रही है। हमने इसी तरह  मुंबई की सभी नदियों का निरीक्षण किया है जिन्हें नाला बनाए जाने की कोशिश हो रही थी। हमारे प्रयास से सरकारी विभाग ने उन्हें नदियों के रूप में पंजीकृत किया है।

    नदी के पास बने डंपिंग ग्राउंड पर जताई नाराजगी

    उन्होंने कल्याण खाड़ी के पास डंपिंग ग्राउंड पर कड़े शब्दों में अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इस नाले के पास डंपिंग ग्राउंड सबसे बड़ा अपराध है और नदी के पास कभी भी डंपिंग ग्राउंड नहीं होना चाहिए। उन्होंने सरकार से डंपिंग ग्राउंड को तुरंत बंद करने की अपील की क्योंकि कचरे के रासायनिक घटक पानी में मिल जाते हैं और जमीन बंजर हो जाती है। इस दौरान राजेंद्र सिंह के साथ मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. अरुण सावंत के साथ कल्याण के एक निजी स्कूल के छात्र-छात्राएं मौजूद थे। राजेंद्र सिंह ने इन छात्रों को नदियों को बचाने का महत्व बताया।  उन्होंने लोगों से नदियों को बचाने के अभियान में मदद करने की भी अपील की।