Know why nurses stopped work at Chhatrapati Shivaji Maharaj Hospital in Thane

    Loading

    ठाणे : ठाणे  महानगरपालिका (Thane Municipal Corporation) द्वारा संचालित छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल (Chhatrapati Shivaji Maharaj Hospital) के नर्सों (Nurses) ने सोमवार (Monday) से अचानक काम बंद आंदोलन शुरू (Shutdown Movement) कर दिया है। जिससे मरीजों (Patients) को परेशानी का सामना करना पड़ा।

    आंदोलनकारी नर्सों (Agitating Nurses) का कहना है कि कम स्टाफ होने के बावजूद नए आइसोलेशन वॉर्ड (Isolation Ward) तैयार करने की भूमिका अस्पताल प्रशासन की है। लेकिन पहले से स्टाफ कम है और उन पर ही काम का बोझ अधिक है। इसलिए अब नए वार्ड के लिए वे कहां से स्टाफ लाए। इसलिए उन्होंने नए स्टॉफ भर्ती करने और अन्य सुविधाओं की पूर्ति करने को लेकर आंदोलन की शुरुआत की है। 

    नर्सों ने काम बंद कर आंदोलन शुरू कर दिया

    गौरतलब है कि ठाणे के कलवा स्थित ठाणे महानगरपालिका द्वारा संचालित छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल हमेशा से ही कुछ-न-कुछ बातों को लेकर चर्चा में बना रहता है। कभी मरीजों को सही समय पर उपचार न मिलने तो कभी कभार डाक्टरों और अन्य स्टॉफ द्वारा मरीजों से उड्डंता के साथ पेश आना जैसी हरकते शामिल है। अब इसी बीच स्टॉफ की कमी को लेकर सोमवार से यहां के नर्सों ने काम बंद कर आंदोलन शुरू कर दिया। नर्सों का कहना है कि वर्ष 1992 से लेकर हम सभी नर्सें काम कर रही है। लेकिन कोरोना काल में जिला सिविल अस्पताल कोविड के लिए घोषित है और इसका भी भार अब कलवा स्थित इस अस्पताल पर पड़ा है। यहां पर सिर्फ ठाणे महानगरपालिका की सीमा में रहने वाले ही लोग इलाज के नहीं आते है बल्कि जिले के अन्य क्षेत्रों से भी मरीज इलाज के लिए इस अस्पताल में आ रहे है। इसके साथ ही अनेक नर्स सेवा निवृत्त हो चुकी है। जिसके कारण पिछले दो वर्षों से काम का भार अधिक होने से वे तनाव भरा जीवन जी रही है। नर्सों का कहना है कि उनमें से कई ऐसी नर्स भी है जोकि सेवानिवृत्ती के मुहाने पर खड़ी है लेकन उन्हें भी आज के समय में डबल ड्यूटी करना पड़ रहा है। 

    70 नर्स हो चुकी है कोरोना पॉजिटिव 

    छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल के नर्सों का कहना है कि इस तीसरी लहर के दौरान अब तक कुल 70 नर्स कोरोना से संक्रमित हो चुकी है। इसके अलावा अब पिछले दो दिनों के भीतर आधा दर्जन नर्स कोरोना पॉजिटिव पाई गई है। ऐसे में कोरोना से संक्रमित नर्सों को सिर्फ 5 दिनों की छुट्टी दी जारी है और उसके बाद उन्हें तत्काल ड्यूटी पर हाजिर रहने का फरमान संबंधित विभाग द्वारा निकाला जा रहा है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि वे जब मरीजों का ख्याल रख रही है तो उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। 

    वार्ड बॉय लेवल का मिल रहा वेतन 

    आंदोलनकारी नर्सों का कहना है कि उन्होंने अपनी व्यथा को लेकर कई बार प्रशासन के पास गए है और पत्र व्यवहार भी किया गया है लेकिन महानगरपालिका प्रशासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया। इतना ही नहीं उन्हें वॉर्डबॉय के लेवल का वेतन मिल रहा है। ऐसे में जब स्टॉफ कम है तो आइसोलेशन वार्ड तैयार करने का निर्णय अस्पताल प्रशासन को नहीं लेना चाहिए था। नर्सों का कहना है कि उन्होंने आंदोलन के दौरान मरीजों का ख्याल रखा है और उन्हें परेशानी का सामना न करना पड़ा इसके लिए भी वे नियोजन करके आंदोलन कर रही है।