BHIWANDI

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    भिवंडी: 2011 की जनगणना की मानें तो पावरलूम नगरी भिवंडी (Bhiwandi) की आबादी करीब साढ़े 7 लाख थी जो करीब 11 वर्षों में बढ़कर 10 लाख के पार होने का अनुमान हैं। लगातार बढ़ रही आबादी के बावजूद शासन और भिवंडी महानगरपालिका प्रशासन (Bhiwandi Municipal Administration) नागरिकों की मूलभूत समस्याओं को लेकर भी भारी लापरवाही बरत रहा है। बढ़ती आबादी के हिसाब से जहां नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं भी नसीब नहीं हो रहीं, वहीं शहर का विकास आबादी के हिसाब से नगण्य है। शहर में बुनियादी सुविधाओं अच्छी सड़क, स्वच्छ पानी, स्वच्छता, बच्चों का स्कूल, अस्पताल, गार्डेन न के बराबर हैं।

    गौरतलब है कि भिवंडी शहर करीब 10 लाख की आबादी के आंकड़े को पार कर चुका है। बढ़ती आबादी से नागरिकों की मूलभूत समस्याएं मुंह बाए खड़ी है। आश्चर्य है कि महानगरपालिका प्रशासन द्वारा शहर की निरंतर बढ़ती आबादी के मद्देनजर विकास का कोई खाका आज तक तैयार नहीं किया गया है। बढ़ती आबादी के अनुरूप नागरिकों की मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है। महानगरपालिका टैक्स भुगतान के बाद भी जरूरी मूलभूत समस्याओं का समाधान न होने से शहर के नागरिक दुख भोग रहे हैं। 

    सड़क, नाली, गटर, स्वच्छता, स्कूल, हेल्थ सेंटर जस के तस

    भिवंडी महानगरपालिका को अस्तित्व में आए हुए करीब 20 वर्ष हो गए। 2011 की जनगणना की माने तो शहर की आबादी साढ़े 7 लाख से  करीब 11 वर्षों में बढ़कर 10 लाख से अधिक आंकड़े को पार कर चुकी हैं। लोगों का आरोप है कि 20 वर्षों में महानगरपालिका प्रशासन द्वारा नागरिकों की मूलभूत समस्याओं का ही निदान किए जाने में असफलता हासिल हुई है। शहर विकास की बात तो छोड़ दीजिए भिवंडी में शहर विकास के नाम पर महानगरपालिका  प्रशासन के पास कोई उपलब्धि तो नहीं, लेकिन भिवंडी शहर महानगरपालिका भ्रष्ट अधिकारियों की बदौलत अवैध निर्माण, गंदगी, मूलभूत असुविधा का शहर अवश्य बन चुका है। 

    टैक्स देने के बाद भी हो रही असुविधा

    भिवंडी महानगरपालिका प्रशासन द्वारा 20 वर्षों की लंबी अवधि के बाद भी महानगरपालिका क्षेत्र अंतर्गत अच्छी सड़क, हेल्थ सेंटर, पानी निकासी के लिए आवश्यक नाला, गटर सहित पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ भी सुचारू रूप से निर्माण किए जाने में असफल साबित हुई है। नागरिकों की बढ़ती आबादी के अनुसार महानगरपालिका टैक्स चुकाने के बाद भी भारी दिक्कत झेलनी पड़ रही है।

    डीपी प्लान का नहीं हुआ क्रियान्यवन

    आश्चर्यजनक है कि महानगरपालिका प्रशासन द्वारा वर्षों पूर्व शासन से मंजूर डीपी प्लान का क्रियान्वयन भी नहीं किया जा सका है। डीपी प्लान का क्रियान्वयन नहीं होने से शहर के तमाम प्रमुख मार्गों के किनारे अवैध अतिक्रमण हो चुका हैं जिससे शहर में हमेशा जाम लगा रहता है। शहर के प्रमुख मार्ग धामनकर नाका से अंजुर फाटा, कल्याण नाका से साईं बाबा मंदिर, जकात नाका से बंजार पट्टी नाका, नदी नाका, बंजार पट्टी नाका से मंडई, तीन बत्ती से अंजुर फाटा तक सभी मार्ग यातायात जाम की चपेट में रहते हैं। यातायात जाम की वजह से इमरजेंसी सेवाएं भी समय से नहीं पहुंच पाती, जिसका खामियाजा लोगों को उठाना पड़ रहा हैं। सड़क किनारे स्थित फुटपाथ पर दुकानदारों द्वारा अतिक्रमण किए जाने से लोगों को पैदल चलने में भी दिक्कत होती हैं। शहर यातायात जाम होने का एकमात्र कारण डीपी प्लान के अनुसार सड़कों की चौड़ाई नहीं बढ़ाया जाना है।

    महानगरपालिका प्रशासन की उदासीनता उजागर

    नागरिक सुविधाओं के लिए शासन द्वारा महानगरपालिका प्रशासन को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए जरूरी प्लान, फंड हमेशा दिए गए, लेकिन शासन द्वारा मंजूर प्लान का क्रियान्वयन भी महानगरपालिका प्रशासन किए जाने में असफल साबित हुआ है। शहर की तमाम प्रमुख नाले, गटर, नाली, सड़क,शौचालय,स्कूल,अस्पताल जनसंख्या की दृष्टि से निर्माण नहीं होने से लोगों को हमेशा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।  

    नागरिकों की सुविधा की अनदेखी

    भिवंडी महानगरपालिका प्रशासन पर जागरूक नागरिकों का गंभीर आरोप है कि महानगरपालिका प्रशासन नागरिकों के हितों की कोई चिंता नहीं करता है। नागरिकों से महानगरपालिका टैक्स वसूली के बावजूद महानगरपालिका प्रशासन शहर के नागरिकों की मूलभूत समस्याओं को हल करने के बजाय टैक्स के पैसे मनमानी तरीके से कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। लोगों का आरोप है कि महानगरपालिका स्कूलों में बच्चों को शिक्षा के लिए उचित माहौल भी महानगरपालिका प्रशासन देने में असफल रहा है। बच्चों के लिए शौचालय, पानी सुविधा, बैठने के लिए बेंच, मेज भी समुचित मात्रा में न होने से गरीब बच्चे पढ़ने में भी परेशानी झेलते हैं। शहर के तमाम सांस्कृतिक भवन भी मरम्मत के अभाव में उपयोग में नहीं आ रहे है। मीनाताई ठाकरे रंगायतन करीब 5 वर्षों से मरम्मत की आस जोह रहा है। महानगरपालिका प्रशासन सब कुछ जान समझ कर भी नागरिक सुविधाओं की अनदेखी कर रहा है।

    विकास की तमाम योजनाएं अधर में

    शासन द्वारा भिवंडी शहर के विकास के लिए मंजूर तमाम विकास योजनाएं महानगरपालिका प्रशासन की नाकामी की वजह से अधर में लटकी हुई हैं। ठाणे-भिवंडी और कल्याण तक जाने वाली मेट्रो-5 परियोजना भी महानगरपालिका प्रशासन द्वारा सड़क वाइंडिंग न किए जाने से धामनकर नाका लगाकर लटक गई है। एमएमआरडीए द्वारा निर्देशित मेट्रो मार्ग का विस्तारीकरण नहीं होने से एमएमआरडीए ने अप्रत्यक्ष तौर पर परियोजना से हाथ झटक लिया हैं। शहर की महत्वाकांक्षी ड्रेनेज योजना भी एसटीपी प्लांट का निर्माण बंद होने से ठप हो गई है। शहर को यातायात जाम से मुक्त किए जाने के लिए शासन द्वारा मंजूर रिंग रोड निर्माण परियोजना भी ग्रहण लग गया है। केंद्र सरकार की 650 करोड़ की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना भी महानगरपालिका प्रशासन की कुशलता की वजह से शुरू होने से पूर्व ही ठंडे बस्ते में बंद हो गई है। 

    सरकार को ध्यान देना जरूरी

    शहर के नागरिकों का कहना है कि सरकार को महानगरपालिका प्रशासन की कार्यप्रणाली की उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिए। 20 वर्षों से अस्तित्व में आई भिवंडी महानगरपालिका द्वारा सिर्फ भ्रष्टाचार के खेल खेले गए, लेकिन नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं के लिए कोई कारगर प्रयास नहीं किया गया। 20 वर्षों की लंबी अवधि में महानगरपालिका प्रशासन ने नागरिकों के हित में कोई सार्थक प्लान नहीं बनाया सिर्फ जनता की गाढ़ी कमाई से जेब भरी है।   

    नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं का समाधान प्राथमिकता है। निरंतर बढ़ती आबादी के मद्देनजर सरकार के निर्देश पर नया डीपी प्लान बनाया जा रहा है। नए डीपी प्लान में सभी जरूरी मुद्दों को समाहित किया जाएगा।

    -विजय कुमार म्हसाल, प्रशासक, भिवंडी महानगरपालिका