Ulhasnagar Municipal Corporation

  • ठेकेदारों का बकाया है 180 करोड़

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उल्हासनगर : महानगरपालिका (Municipal Corporation) का मुख्य आय का स्रोत होता है प्रॉपर्टी टैक्स (Property Tax)। इस टैक्स की वसूली में पिछले कुछ वर्षों से महानगरपालिका का संबंधित विभाग असफल रहा है। उसके बाद कोरोना संकट के चलते वसूली और भी कम हो गई है। इस वजह से महानगरपालिका की तिजोरी खाली जैसी स्थिति में आ गई है। ठेकेदारों को बिल अदा करने के लिए भी महानगरपालिका के पास पैसे नहीं है। ठेकेदारों के लगभग 180 करोड़ रुपए बिल बकाया है। 

आगामी कुछ महीनों में महानगरपालिका के आम चुनाव होने है। पिछले साल कोरोना संकट के दौरान महानगरपालिका को उसमें  आर्थिक सहयोग करना पड़ा था। जिसके चलते विकास कार्यों की रफ्तार धीमी हो गई थी। हालांकि विगत कुछ महीनों से स्थिति सामान्य बन गई है। जिसकी वजह और महानगरपालिका के आगामी चुनावों को लेकर वर्तमान नगरसेवक अपने – अपने वार्डो में सड़क, नाले, नालियों, पेवर ब्लॉक, समाज मंदिर आदि काम करवा चुके है कुछ चल रहे है।

कुछ ठेकेदारों के बिल पिछले तीन साल से बाकी  है

नगरसेवक जहां ठेकेदारों से समय पर काम पूरा करने की हड़बड़ी कर रहे हैं, वहीं ठेकेदारों को काम पूरा करने का भुगतान नहीं किया गया है। महानगरपालिका के कोषागार में  राशि नहीं होने के कारण महानगरपालिका प्रशासन ने पिछले कुछ महीनों से ठेकेदारों को बिल देना बंद कर दिया है। स्थानीय महानगरपालिका के लेखा विभाग के सूत्रों की माने  तो करीब 180 करोड़ रुपए के बिल  ठेकेदारों के बाकी है।  सूत्रों ने यह भी बताया कि इनमें से कुछ ठेकेदारों के बिल पिछले तीन साल से बाकी  है। 

180 करोड़ रुपए अभी भी बकाया

 इस दिवाली में  ठेकेदारों ने अपना बकाया वसूलने के लिए महानगरपालिका के लेखा विभाग से काफी तकादा किया था। हालांकि उस समय महानगरपालिका के खाते में धनराशि की कमी के कारण कई ठेकेदारों को खाली हाथ लौटना पड़ा था। महानगरपालिका को कुछ निधि राज्य सरकार से प्राप्त होने की वजह से कुछ ठेकेदारों को भुगतान प्राप्त हुआ था।  हालांकि लेखा विभाग के पास करीब 180 करोड़ रुपए अभी भी बकाया है।

फिलहाल कोई भुगतान नहीं किया जाएगा

बिल की अदायगी के लिए महानगरपालिका मुख्यालय के चक्कर काट रहे ठेकेदारों को जवाब देने से आजिज आ चुके संबंधित विभाग ने  लेखा विभाग में सीधे सूचना बोर्ड लगा दिया है कि  महानगरपालिका के सामान्य खाते में राशि नहीं होने के कारण फिलहाल कोई भुगतान नहीं किया जाएगा। एक ओर नगरसेवकों द्वारा शहर में विभिन्न कार्यों में तेजी लाने की जिद की जा रही है तो दूसरी ओर ठेकेदार आर्थिक तंगी में है। वहीं ठेकेदार अपने किए हुए कामों के बिल की मांग कर रहें है बावजुद इसके इस साल लगभग 207 करोड़ रुपए के विविध विकास कार्यो  को  मंजुरी प्रदान की गई है।

कोरोना काल में महानगरपालिका की काफी निधि खर्च हुई थी उसकी तुलना में राज्य आपत्ति प्रबंधन विभाग से अनुदान प्राप्त नहीं हुआ है। उसके कारण ठेकेदारों के बिल प्रलंबित है। बिल समय पर अदा हो ऐसी कोशिश शुरु है।

- विकास चव्हाण, मुख्य लेखाधिकारी, उल्हासनगर महानगरपालिका